उच्च शिक्षा के साथ खेल भी पाठ्यक्रम में हो शामिल

शिक्षा का स्तर जैसे-जैसे बढ़ता जाता है. हम सभी खेलकूद व मनोरंजन से दूर होते चले जाते हैं.लेकिन इसे देखा जाये तो पढ़ाई के दृष्टिकोण से भी सही नहीं है, क्योंकि हमें बचपन में पढ़ाया जाता था कि पढ़ाई करने के बाद मस्तिष्क को आराम के लिए कुछ अंतराल की अति आवश्यकता होती हैं. इसलिए […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | December 27, 2018 6:03 AM

शिक्षा का स्तर जैसे-जैसे बढ़ता जाता है. हम सभी खेलकूद व मनोरंजन से दूर होते चले जाते हैं.लेकिन इसे देखा जाये तो पढ़ाई के दृष्टिकोण से भी सही नहीं है, क्योंकि हमें बचपन में पढ़ाया जाता था कि पढ़ाई करने के बाद मस्तिष्क को आराम के लिए कुछ अंतराल की अति आवश्यकता होती हैं. इसलिए बच्चों के ‘प्ले स्कूल’ में खेलकूद की पूरी व्यवस्था रहती है, जबकि उच्च शिक्षा की दौड़ में पढ़ाई के दबाव के साथ में कैरियर को लेकर छात्र- छात्रों में हमेशा होड़ लगा रहता है.

इस कारण वह​ खेलकूद को बिल्कुल नजरअंदाज कर देता है. इसके चलते नयी पीढ़ी के युवाओं में डिप्रेशन, हाइपरटेंशन के अलावा अन्य विभिन्न प्रकार की समस्याएं देखने को मिल रही हैं. इसलिए हमारे पाठ्यक्रम में उच्च शिक्षा के साथ खेलकूद की अति आवश्यकता है. इसकी शुरुआत स्कूलों से ही करनी होगी. स्कूल के साथ विश्वविद्यालय स्तर के पाठ्यक्रम में भी खेलकूद को शामिल करने की जरूरत है.

नितेश कुमार सिन्हा, जानपुल चौक (मोतिहारी)

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