जिस उद्देश्य से झारखंड राज्य का गठन किया गया, वे पूरे होते नहीं दिख रहे. इसके कारण झारखंडवासियों में रोष है. यहां के मूलवासियों की अनदेखी की जा रही है. नियोजन नीति में व्याप्त त्रुटियों के कारण दूसरे राज्यों के अभ्यर्थियों का आना जारी है. झारखंड के लोगों में भी योग्यता की कमी नहीं है और यदि उन्हें पर्याप्त अवसर और समय दिया जाये, तो वे भी अपने राज्य के विकास में अतुलनीय योगदान दे सकते हैं.
झारखंड के साथ अन्य दो राज्य छत्तीसगढ़ और उतराखंड भी अस्तित्व में आये थे. आज उनकी स्थिति विकास या अन्य मामलों में झारखंड से काफी बेहतर है. झारखंड एक खनिज संपदा बहुल राज्य है, परंतु यहां के लोगों का पलायन बदस्तूर जारी है. सरकार को चाहिए कि कोई भी ऐसा कदम न उठाये, जिससे यहां के मूलवासी ठगा और छला महसूस करें.
सरोज कुमार महतो, गिरिडीह