युवाओं की हताशा

कुछ ही दिनों पहले बिहार के एक वरीय पुलिस अधिकारी की डॉक्टर बेटी ने 13वीं मंजिल से छलांग लगाकर अपनी जीवन लीला समाप्त कर ली थी. फिर झारखंड के एक वरीय पुलिस अधिकारी के डाॅक्टरी की पढ़ाई ‌‌‌कर रहे इकलौते पुत्र ने उनके ड्राइवर के रिवाल्वर से अपने सीने में गोली दागकर मौत को गले […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | December 31, 2018 6:23 AM
कुछ ही दिनों पहले बिहार के एक वरीय पुलिस अधिकारी की डॉक्टर बेटी ने 13वीं मंजिल से छलांग लगाकर अपनी जीवन लीला समाप्त कर ली थी.
फिर झारखंड के एक वरीय पुलिस अधिकारी के डाॅक्टरी की पढ़ाई ‌‌‌कर रहे इकलौते पुत्र ने उनके ड्राइवर के रिवाल्वर से अपने सीने में गोली दागकर मौत को गले लगा लिया. दोनों उच्च, कुलीन, संभ्रांत और संपन्न घराने से ताल्लुक रखते थे.
पहले मामले में डॉक्टर बन चुकी बेटी की मर्जी के खिलाफ उसके पिता उसकी शादी कराने जा रहे थे. वहीं दूसरे मामले में, डॉक्टरी की पढ़ाई कर रहे जवान लड़के को पढ़ाई में मन नहीं लगता ‌‌‌था. बच्चों ‌‌‌पर जबरन अपनी इच्छा लादने और बच्चों को नहीं समझ पाने के कारण ही ये दर्दनाक घटनाएं हुई हैं.
आज हमारे युवा हताश और उदास हैं. रोजगार के अवसरों की तलाश में भटक रहे हैं. पढ़े-लिखे युवा को रोजगार के लिए दर-दर की ठोकरें खाने के बाद भी रोजगार नहीं मिलता तो वे हताश हो जाते हैं और तनाव में मौत को ही अंतिम रास्ता बना लेते हैं. मां-बाप को भी बच्चों के साथ मैत्रीपूर्ण संबंध रखने चाहिए, न कि अपनी मिल्कियत समझने की भूल करनी चाहिए.
युगल किशोर, इमेल से

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