बाजी उसी की, जिसमें जीतने का जुनून हो
।। अनुज सिन्हा ।। वरिष्ठ संपादक प्रभात खबर वर्ल्ड रैंकिंग में इटली का स्थान नौवां है. लेकिन उसे 28वीं रैंक वाली कोस्टारिका की टीम ने हरा दिया. कोई ऐसे नतीजे के बारे में सोच नहीं सकता था. लेकिन मैदान पर जिस तरीके से कोस्टारिका के खिलाड़ियों ने आक्रमण किया, उसका इटली के पास कोई जवाब […]
।। अनुज सिन्हा ।।
वरिष्ठ संपादक
प्रभात खबर
वर्ल्ड रैंकिंग में इटली का स्थान नौवां है. लेकिन उसे 28वीं रैंक वाली कोस्टारिका की टीम ने हरा दिया. कोई ऐसे नतीजे के बारे में सोच नहीं सकता था. लेकिन मैदान पर जिस तरीके से कोस्टारिका के खिलाड़ियों ने आक्रमण किया, उसका इटली के पास कोई जवाब नहीं था. इस हार से इटली संकट में है.
ब्राजील में चल रहे फुटबाल के वर्ल्ड कप में जब चिली जैसी टीम ने दुनिया की नंबर एक टीम, वर्ल्ड चैंपियन स्पेन को 2-0 से हरा कर उसे प्रतियोगिता से बाहर कर दिया तो एक बार फिर यह बात पुष्ट हुई कि लगन और सही रणनीति हो तो दुनिया में किसी को भी हराया जा सकता है. कोई अपराजेय नहीं होता. इस वर्ल्ड कप के कई मैचों में यही बात उभर कर आयी है. आपकी रैंकिंग क्या है, यह मायने नहीं रखता. आपने उस दिन 90 मिनट कैसा खेला, सब इस पर निर्भर करता है. इटली की टीम मजबूत टीम मानी जाती है.
फुटबॉल वर्ल्ड कप में उसका अपना इतिहास है. 1934, 1938, 1982 और 2006 में (यानी चार बार) वह विश्व-विजेता रही है. वर्ल्ड रैंकिंग में उसका स्थान नौवां है. लेकिन उसे 28वीं रैंक वाली कोस्टारिका की टीम ने हरा दिया. कोई ऐसे नतीजे के बारे में सोच नहीं सकता था. लेकिन मैदान पर जिस तरीके से कोस्टारिका के खिलाड़ियों ने आक्रमण किया, उसका इटली के पास कोई जवाब नहीं था. इस हार से इटली संकट में है और उस पर प्रतियोगिता में बने रहने के लिए काफी दबाव है. उरुग्वे से हारने पर टीम बाहर हो जायेगी. हर हाल में इटली को कम से कम ड्रॉ करना होगा.
अब स्पेन की बात करें, तो छह साल से वह दुनिया की नंबर एक टीम रही है. 2010 में स्पेन ने नीदरलैंड को हरा कर वर्ल्ड कप का खिताब जीता था. उसके पास अनुभवी खिलाड़ी हैं. यह सारा अनुभव धरा का धरा रह गया और नीदरलैंड के खिलाड़ियों की तेजी के आगे स्पेन की नहीं चली. नीदरलैंड ने स्पेन को 5-1 से हरा कर न सिर्फ पिछली हार का बदला लिया, बल्कि स्पेन को बाहर करने का आधार भी तैयार किया. बाकी का काम किया चिली ने. उसने 2-0 से स्पेन को हरा कर बाहर का रास्ता दिखा दिया. अब स्पेन को रूस में होनेवाले अगले वर्ल्ड कप का इंतजार करना होगा.
खेल चाहे फुटबाल का हो या क्रिकेट का या अन्य, जीत उसी की होती है जो उस दिन बेहतर खेलता है. कुछ भी असंभव नहीं होता. याद कीजिए 2007 का क्रिकेट का वर्ल्ड कप. बांग्लादेश जैसी कमजोर टीम ने कैसे भारत को पांच विकेट से हरा कर वर्ल्ड कप से बाहर कर दिया था. बांग्लादेश इसलिए जीता क्योंकि उस दिन उसने अच्छा खेला.
यही हाल फुटबाल में दिख रहा है. कोस्टारिका मजबूत टीम नहीं है. उसके पास खोने के लिए कुछ नहीं, पर पाने का अवसर है. एक औसत टीम है, पर उसने पहले दोनों मैचों में जिन दो टीमों को हराया, वो वर्ल्ड चैंपियन रह चुकी हैं. इटली को तो बाद में हराया, पहले ही मैच में कोस्टारिका ने उरुग्वे को 3-1 से हराया था. उरुग्वे 1930 और 1950 की चैंपियन टीम रह चुकी है. इससे मनोबल तो बढ़ेगा ही. कोस्टारिका की जीत का असर इंग्लैंड पर सीधा पड़ा. हारा इटली लेकिन झटका लगा इंग्लैंड को. बाहर हो गयी इंग्लैंड की टीम.
ब्राजील तो फुटबाल का बादशाह रहा है. उसे चैंपियन होने का दावेदार माना जा रहा है लेकिन इसी ब्राजील को उसी के घरेलू मैदान पर मैक्सिको ने परेशान कर रखा. एक भी गोल नहीं करने दिया. इसका असर यह पड़ा कि ब्राजील को अब कैमरून के साथ होनेवाले मैच का इंतजार करना पड़ेगा. मैक्सिको के गोलकीपर ने सात बार बेहतर गोल बचाया और हीरो बना. इसलिए दुनिया की किसी टीम को कमजोर आंकना किसी को भी महंगा पड़ सकता है. जीत उसी की होती है, जो बहादुरी से खेलता है. जिसमें इच्छाशक्ति होती है. यह मायने नहीं रखता कि आपके सामने प्रतिद्वंद्वी कौन है? बड़े नाम देख कर अगर कोई डर जाये तो कैसे जीत सकता है. अगर इटली के नाम से कोस्टारिका के खिलाड़ी भयभीत हो जाते, तो वे उसे हरा कर इतिहास नहीं रच सकते थे.
आनेवाले मैचों में भी वही टीम जीतेगी, जिसमें हौसला होगा, जो बेहतर खेलेगी, जो अवसर को परिणाम में बदलेगी. अवसर बार-बार नहीं मिलता. मैच तभी जीत सकते हैं जब गोल करेंगे और इसके लिए आक्रमण करना होगा, अपने किले को बचाते हुए दुश्मन के किलों को भेदना होगा.