अपनी ताकत को पहचानें संकल्‍प लें, उसे पूरे भी करें

अनुज कुमार सिन्हा नये साल की बधाई. वक्त है गर्व करने का, संकल्प लेने का, अपनी ताकत काे पहचानने का, वक्त है अपने, अपने परिवार और देश-समाज के लिए खुशहाली का रास्ता तलाशने का, उनमें अपना याेगदान करने का. गर्व इसलिए कि हम सभी भारतीय हैं,भारत की पवित्र धरती पर पैदा हुए हैं आैर अपना […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | January 1, 2019 7:21 AM

अनुज कुमार सिन्हा

नये साल की बधाई. वक्त है गर्व करने का, संकल्प लेने का, अपनी ताकत काे पहचानने का, वक्त है अपने, अपने परिवार और देश-समाज के लिए खुशहाली का रास्ता तलाशने का, उनमें अपना याेगदान करने का. गर्व इसलिए कि हम सभी भारतीय हैं,भारत की पवित्र धरती पर पैदा हुए हैं आैर अपना भारत दुनिया में अपनी ताकत, अपना महत्वपूर्ण स्थान रखता है. चाहे आणविक ताकत की बात हाे, चाहे अर्थव्यवस्था की बात हाे, प्राकृतिक साैंदर्य की बात हाे या भारतीय संस्कृति-संस्कार की बात हाे, अपना भारत बेहतरीन है.

नये साल में इस अपने राष्ट्र काे और मजबूत, खुशहाल, सुंदर बनाना ही ताे हम सबका सपना हाेना चाहिए. जाति-धर्म से ऊपर उठ कर ही यह संभव है. सब कुछ संभव है. दुनिया में सबसे ज्यादा युवा हमारे देश में हैं. ये अगर ठान लें ताे देश बदल सकता है (बदल भी रहा है).याद कीजिए दूसरे विश्व युद्ध में जापान बर्बाद हाे गया था. तत्कालीन सरकार ने दूरदराज के क्षेत्राें में रहनेवाले युवाआें से भी अपील की कि वे नया जापान बनाने के लिए अपनी जवानी राष्ट्र काे साैंप दें.

लाखाें की संख्या में जापानी युवक शहराें में आये, शादी तक नहीं की और कड़ी मेहनत, जुनून, राष्ट्रभक्ति के साथ वह नया और ताकतवर जापान बनाया, जाे आज हम सभी देखते हैं. हमारे युवा भी उनसे पीछे नहीं हैं. जरूरत है संकल्प लेने की, स्वहित से ऊपर उठ कर ईमानदारी से देश के लिए काम करने की. जिस क्षेत्र में वे बेहतर कर सकते हैं, उस क्षेत्र में जायें और इतिहास रचें. उनमें क्षमता है, लेकिन कमियाें पर अंकुश लगाना हाेगा. ताे नये साल की चुनाैतियां क्या-क्या हैं और कैसे निबटेंगे?

सबसे बड़ी चुनाैती है युवाओंमें छायी निराशा काे दूर करने की, उनमें आत्मबल जगाने की. लगभग राेज ऐसी खबरें आती हैं कि परीक्षा में असफल हाेने पर, नाैकरी नहीं मिलने पर युवा ने आत्महत्या कर ली या फिर अपराध का रास्ता चुन लिया. ऐसे युवकाें की जान बचाना सबका फर्ज है.

ऐसे युवाओंकाे जानना चाहिए कि जान देने से समस्या का हल नहीं निकल सकता. असफलता के बाद ही ताे सफलता का रास्ता खुलता है. दुनिया में एक से एक उदाहरण हैं, जब असफल हाेने के बाद लाेगाें ने इतिहास रचा है. जीवन कीमती है.

इसे समझना हाेगा. तेज रफ्तार से गाड़ी चलाने में भी कम उम्र के बच्चाें की जान जा रही है. इन बच्चाें की जान बचाना ही ताे नये साल की सबसे बड़ी चुनाैती है. ये बच्चे (उम्र ऐसी है कि ये किसी की सुनते नहीं) साेचें कि लापरवाही और जिद के कारण इनकी जान ताे चली जाती है, मां-बाप काे ये जिंदगी भर बिलखने के लिए छाेड़ देते हैं. मोबाइल की लत और नशाखोरी से बचपन को बचाना भी एक चुनौती है. बड़ी संख्या में हत्याएं हाे रही हैं, बलात्कार की घटनाएं घटती हैं, महिलाएं सुरक्षित नहीं हैं, साइबर क्राइम बढ़ रहे हैं. इन सब पर नियंत्रण पाना ही ताे सरकार, समाज के समक्ष चुनाैती है. आज ऐसे-ऐसे साइबर क्राइम हाे रहे हैं कि पुलिस भी पकड़ नहीं पा रही है.

लाेग डर जी रहे हैं कि कहीं बैंक में रखा उनका खाता काेई खाली न कर दे. जाे युवा दिमाग ऐसे नकारात्मक कामाें (यहां अपराध) में लगा है, अगर वही दिमाग अच्छे कामाें, पढ़ाई, रिसर्च में लग जाये ताे देश में कई साइंटिस्ट पैदा हाे सकते हैं.

सवाल है ऐसे दिमागाें काे सही दिशा देने की. यही ताे चुनाैती है. युवा साेचें कि गलत रास्ते पर चल कर जाे पैसा कमा रहे हैं, अपराध कर रहे हैं, उसका अंत कैसा हाेगा? खुद तुलना भी करें कि अगर वही दिमाग लगा कर वे देश के लिए बड़ा काम करते हैं ताे इसमें न सिर्फ पैसा मिलेगा, बल्कि जाे सम्मान मिलेगा, जाे नाम हाेगा, वह अतुलनीय हाेगा.

खबरें आती हैं कि बेटा, मां या बाप काे कमरे में बंद कर भाग गया. बुढ़ापे में ख्याल नहीं रखता आैर उन बुजुर्ग मां-बाप काे अपना बुढ़ापा आेल्ड एज हाेम में गुजारना पड़ रहा है. क्या यही हमारा संस्कार है.

उस माता-पिता ने अपनी जवानी बच्चाें की खुशी के लिए कुर्बान कर दी आैर जब बुढ़ापा आया ताे यही माता-पिता बेकार हाे गये (हालांकि अपने देश में आज भी ऐसी घटनाएं बहुत कम ही हैं, ऐसे नालायक बेटाें की संख्या कम ही है). दुनिया के कई देशाें से लाेग भारतीय संस्कृति पर शाेध करने आते हैं कि काैन-सी ताकत है, जिसने परिवार काे जाेड़ कर रखा है. लेकिन ये सारी कमियां यहां भी आ चुकी हैं, तलाक के मामले बढ़े हैं, माता-पिता आैर गुरु का सम्मान घटा है. इसे वापस लाना ही चुनाैती है. नये साल में यही ताे संकल्प लेना है.

लाेग डर में जी रहे हैं. एडमिशन कैसे हाेगा, पढ़ाई कर लेंगे ताे नाैकरी मिलेगी या नहीं? लड़कियां काेचिंग-कॉलेज जा रही हैं, लाैटने में कहीं काेई हादसा न हाे जाये? बच्चाें काे पढ़ाई के लिए डांटा ताे कहीं कुछ कर न लें. अजीब-अजीब जानलेवा बीमारियां फैल रही हैं. कहीं इन बीमारियाें की चपेट में हम या हमारे परिवार न आ जायें.

इन डराें से बाहर निकलना और खुशहाल रहना बड़ी चुनाैती है. नया साल नये तरीके से जीवन जीने का अवसर देता है. किसी के प्रति विद्वेष न रखें, परिवार की खुशी का ख्याल रखें, शांति और तनावरहित जीवन काे महत्व दें. हमेशा इस बात का ध्यान रहे कि दुनिया बहुत सुंदर है. ईश्वर ने आपकाे बेहतरीन दुनिया में भेजा है.

यहां खुशी भी मिलेगी ताे कष्ट भी हाेगा, सुख और दुख दाेनाें आपके जीवन का हिस्सा हैं. इसे स्वीकार कीजिए. अपना धर्म निभाइए, अपना कर्म कीजिए. जाे चीजें आपके हाथ में नहीं हैं, उसमें माथा खपाने से कुछ नहीं हाेगा. बाकी चीजें ईश्वर पर छाेड़ दीजिए. इसी में भलाई है. और, अंत में. नये साल में जाे संकल्प लें (कम ही लें), उसे पूरा जरूर करें.

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