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बिना सैलेरी का नया साल

संविदाकर्मियों की तकलीफ पर आम तौर पर कोई नहीं सोच रहा. यह सभी जानते हैं कि संविदाकर्मियों को मानदेय मिलता है, सैलरी नहीं मिलती है. वह भी हर महीने नहीं, चार-पांच महीने के इंतजार के बाद. हर माह वे यही सोच कर बिता देते हैं कि शायद इस बार पैसे मिलेंगे, तो कष्ट दूर हो […]

संविदाकर्मियों की तकलीफ पर आम तौर पर कोई नहीं सोच रहा. यह सभी जानते हैं कि संविदाकर्मियों को मानदेय मिलता है, सैलरी नहीं मिलती है. वह भी हर महीने नहीं, चार-पांच महीने के इंतजार के बाद. हर माह वे यही सोच कर बिता देते हैं कि शायद इस बार पैसे मिलेंगे, तो कष्ट दूर हो जायेगा. इसी आस में दुर्गापूजा, दीपावली, छठ और क्रिसमस तो बीते ही, अब नये साल का पहला दिन भी बीत गया.
अब भी यह पता नहीं है कि उन्हें मानदेय कब तक मिल पायेगा? काम पर आने का, जाने का, नहीं करने पर दंड का प्रावधान तो है, लेकिन मानदेय देर से मिलने पर कोई अतिरिक्त लाभ भी नहीं दिया जाता. अब शर्मनाक व्यवस्था खत्म होनी चाहिए. यह कैसा सिस्टम है कि आप सरकारी तंत्र में तो हैं, सरकारी काम भी कर रहे हैं, लेकिन सरकारी कर्मी नहीं हैं. पता नहीं सरकार कब जागेगी.
गुड्डू, रांची

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