पहल के परिणाम
किसी नीति या योजना की समीक्षा के लिए सौ दिन की अवधि पर्याप्त नहीं होती है. लेकिन, अगर प्रारंभ में ही उत्साहजनक परिणाम आने लगें और उससे बड़ी संख्या में लोगों को लाभ मिलने लगे, तो ऐसी पहल का उल्लेख आवश्यक हो जाता है. आयुष्मान भारत यानी प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना के तहत सौ दिनों […]
किसी नीति या योजना की समीक्षा के लिए सौ दिन की अवधि पर्याप्त नहीं होती है. लेकिन, अगर प्रारंभ में ही उत्साहजनक परिणाम आने लगें और उससे बड़ी संख्या में लोगों को लाभ मिलने लगे, तो ऐसी पहल का उल्लेख आवश्यक हो जाता है. आयुष्मान भारत यानी प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना के तहत सौ दिनों में 6.85 लाख लाभुकों ने नि:शुल्क उपचार कराया है और पांच लाख से अधिक लोगों के उपचार के दावे का निपटारा करते हुए उसके लिए धन भी मुहैया करा दिया गया है.
इस योजना के अंतर्गत कार्यरत प्रणाली की कार्यक्षमता का अनुमान इस तथ्य से लगाया जा सकता है कि हर दिन पांच हजार दावों का निपटारा हुआ है. चालू वित्त वर्ष के अंत तक 25 लाख लोगों को उपचार की सुविधा उपलब्ध कराने का लक्ष्य रखा गया है. इस महत्वाकांक्षी योजना में 10 करोड़ से अधिक परिवारों यानी देश की 40 प्रतिशत जनसंख्या को अस्पतालों में भर्ती होकर उपचार कराने का अवसर मिला है. वंचित परिवार 16 हजार अस्पतालों में हर साल पांच लाख रुपये तक का उपचार करा सकते हैं. इस योजना में व्यय का 60 प्रतिशत भाग केंद्र सरकार को वहन करना है तथा शेष योगदान राज्यों का है.
इस पहल को टीकाकरण और अन्य स्वास्थ्य-संबंधी योजनाओं के साथ भी जोड़कर देखा जाना चाहिए. टीकाकरण अभियान के तीव्र विस्तार ने भविष्य के लिए स्वस्थ पीढ़ी का मार्ग प्रशस्त किया है. इससे आनेवाले समय में आयुष्मान योजना और स्वास्थ्य सेवा पर दबाव कम होने की आशा है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यह भी घोषणा की है कि 2025 तक स्वास्थ्य के मद में सार्वजनिक व्यय को सकल घरेलू उत्पादन (जीडीपी) का 2.5 प्रतिशत तक बढ़ाया जायेगा. अभी यह एक प्रतिशत से कुछ ही अधिक है.
सरकार ने 2022 तक डेढ़ लाख स्वास्थ्य केंद्रों की स्थापना का भी लक्ष्य रखा है. विश्व स्वास्थ्य संगठन ने 2017 में बताया था कि हमारे देश में लोगों को उपचार के व्यय का लगभग 68 प्रतिशत भाग स्वयं वहन करना पड़ता है. इस मामले में वैश्विक औसत मात्र 18 प्रतिशत के आसपास है.
निर्धनता और उपचार के भारी व्यय के कारण हर साल 4.5 करोड़ लोग गरीबी रेखा से नीचे आ जाते हैं. अक्सर लोग महंगे उपचार के कारण समय पर अस्पताल नहीं जाते और बाद में सामान्य बीमारी भी गंभीर रूप धारण कर लेती है. ऐसे में आयुष्मान भारत के दायरे को तेजी से विस्तार देने की आवश्यकता है.
इसके लिए केंद्र और राज्य सरकारों तथा निजी क्षेत्र को सहभागिता के साथ निवेश बढ़ाने और दावों के निपटारे की समुचित व्यवस्था बनाने पर ध्यान देने की आवश्यकता है. इस योजना के बारे में जागरूकता, विशेषकर ग्रामीण और दूरस्थ क्षेत्रों में, बढ़ाने में सरकारी और स्वयंसेवी संस्थाओं के साथ मीडिया की भी बड़ी भूमिका है. आयुष्मान भारत की प्रारंभिक उपलब्धियां स्वस्थ भारत बनाने की दिशा में आगे बढ़ने और बढ़ते रहने का हौसला देती हैं.