आज मीडिया में सबरीमाला मंदिर में प्रथम बार प्रवेश करने में सफल रहीं दो महिलाओं की खबर प्रमुखता से प्रकाशित हुईं हैं. दोनों महिलाएं पुलिस संरक्षण में परंपरागत काले परिधान में अपना मुंह ढककर, प्रातः काल पिछले गेट से मंदिर के गर्भगृह में प्रवेश कर पूजा करके वापस किसी अज्ञात जगह चली गयीं. इसके बाद मंदिर को धो कर पवित्र करने का काम किया गया और पूरे केरल राज्य में इसका विरोध शुरू हो गया है.
जब सुप्रीम कोर्ट ने औरतों को भी दर्शन करने का आदेश पारित कर दिया है तो फिर उसका विरोध करना उचित नहीं. दुख की बात है कि 21वीं सदी में भी पुरातनकालीन, सड़ी-गली, अंधविश्ववासी और रूढ़िवादी बातों का महिमामंडन किया जा रहा है.
निर्मल कुमार शर्मा, गाजियाबाद