प्रारब्ध या पुरुषार्थ !

नरेंद्र मोदी का एक गरीब चाय वाले से प्रधानमंत्री बनना, उनका प्रारब्ध है या पुरु षार्थ? विद्वानों की राय है कि पुरु षार्थ से ही प्रारब्ध बनता है. देश और दुनिया में लालबहादुर शास्त्री, मुंशी प्रेमचंद, जर्मनी के हिटलर और ब्राजील के लुला डीसिल्वा जैसी अनेकों ऐसी हस्तियां हुई हैं जो जीरो से हीरो बन […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | June 23, 2014 6:43 AM

नरेंद्र मोदी का एक गरीब चाय वाले से प्रधानमंत्री बनना, उनका प्रारब्ध है या पुरु षार्थ? विद्वानों की राय है कि पुरु षार्थ से ही प्रारब्ध बनता है. देश और दुनिया में लालबहादुर शास्त्री, मुंशी प्रेमचंद, जर्मनी के हिटलर और ब्राजील के लुला डीसिल्वा जैसी अनेकों ऐसी हस्तियां हुई हैं जो जीरो से हीरो बन कर अमर हो गयीं. नरेंद्र मोदी भी इन्हीं में से एक हैं.

आज की जटिल राजनीति और इतने बड़े बिगाड़-खाते में वे कैसे सफल हो पायेंगे, यह तो वक्त ही बतायेगा. सबको साथ लेकर चलने, सबके सहयोग से राष्ट्रहित में कार्य करने और आंख देखने-दिखाने से बचने की उनकी नीति वास्तव में सराहनीय है. मोदी सरकार टैक्स में छूट और महंगाई आदि बेशक कम न कर सकें, लेकिन पारदर्शी और भ्रष्टाचार मुक्त विकास के मोर्चे पर उन्हें हर कीमत पर खरा उतरना होगा.

वेद प्रकाश, दिल्ली

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