सही मायने में सशक्त भारत का निर्माण करना है, तो उसके लिए समाज के हर तबके को समानता का अवसर प्राप्त होना चाहिए. चाहे उसकी जाति या धर्म कुछ भी हो. आर्थिक रूप से कमजोर सवर्णों को दस प्रतिशत आरक्षण एक सराहनीय कदम है, लेकिन शेष वर्गों में आरक्षण को लेकर जो विसंगति है, उसे भी अविलंब दूर करने की आवश्यकता है.
अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति में भी जब तक आर्थिक आधार पर आरक्षण लागू नहीं होगा, तब तक उस तबके के सक्षम परिवार हर बार पीढ़ी-दर-पीढ़ी आरक्षण का लाभ लेते रहेंगे और जो आरक्षण के वास्तविक पात्र हैं, वे इस दोषपूर्ण नीति का शिकार होते रहेंगे.
ऋषिकेश दुबे, बरिगावां, पलामू