आस तो बंधा गये पूरी हो तब ना
बिहार दौरे पर आये केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन राज्य की स्वास्थ्य सुविधाओं में सुधार की उम्मीद बंधा गये. केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री के मुताबिक साल के अंत तक बिहार का एम्स पूरी तरह चालू हो जायेगा. बिहार के अलावा झारखंड की एक बड़ी आबादी लंबे समय से इस अस्पताल के चालू होने का इंतजार कर रही […]
बिहार दौरे पर आये केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन राज्य की स्वास्थ्य सुविधाओं में सुधार की उम्मीद बंधा गये. केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री के मुताबिक साल के अंत तक बिहार का एम्स पूरी तरह चालू हो जायेगा. बिहार के अलावा झारखंड की एक बड़ी आबादी लंबे समय से इस अस्पताल के चालू होने का इंतजार कर रही है.
हर राज्य में एम्स जैसा अस्पताल केंद्र सरकार की पुरानी लेकिन महत्वाकांक्षी योजना रही है. यह अलग बात है कि इस योजना के लिए न तो समय पर धन उपलब्ध कराया गया और न ही अधिकारियों का इस योजना पर फोकस रहा. नतीजा यह है कि तेरह साल बाद भी पटना में एम्स बन कर तैयार नहीं हो पाया. इस दौरान हजारों की संख्या में बिहार व झारखंड के मरीज बेहतर इलाज के लिए दिल्ली एम्स और वेल्लोर की दौड़ लगाते रहे. यह बहुत ही कड़ुवा सच है कि बड़ी संख्या में बिहारी व झारखंडी दिल्ली एम्स के कॉरिडोर में अपनी मौत का इंतजार करते हैं. इलाज कराने के चक्कर में उनका घर-परिवार सबकुछ बरबाद हो जाता है. बिहार और झारखंड में स्वास्थ्य सेवाओं का क्या हाल है. इसे जानने-समझने के लिए कोई खास सर्वे करने की जरूरत नहीं है.
मुज्जफरपुर से लेकर पटना तक में अज्ञात बीमारी से बच्चे मर रहे हैं. मौत का यह सिलसिला हर साल चार महीने तक चलता रहता है. हर साल शोर मचता है. सरकार हर जिले में बच्चों के इलाज के लिए उम्दा व्यवस्था करने का संकल्प लेती है. लेकिन होता कुछ नहीं है. केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री खुद डॉक्टर हैं. वे जमीनी समस्याओं से भी वाकिफ हैं. अमूमन केंद्रीय मंत्री जब आते हैं, तो राज्य यह आरोप लगाता है कि केंद्र सहयोग नहीं करता है और केंद्र का तर्क होता है कि राज्य केंद्रीय मदद का सही उपयोग नहीं कर रहा है.
शुक्र है कि इस बार केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री के दौरे पर सब कुछ सकारात्मक रहा. केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने एम्स के लिए जमीन उपलब्ध नहीं होने की समस्या का हल निकालने के लिए भी सकारात्मक रवैया अपनाया है. यह रवैया आगे भी बना रहेगा, तो राज्य में भी दिल्ली जैसी स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध होंगी. इलाके के मरीजों को हैरान-परेशान होकर छोटी-मोटी बीमारियों के इलाज के लिए भी दिल्ली की दौड़ नहीं लगानी पड़ेगी.