देशद्रोही या राष्ट्रद्रोही कौन ?
ये दोनों शब्द समय और सत्ता के सापेक्ष होते हैं. एक ही व्यक्ति एक समय ‘देशद्रोही’ होता है और वही व्यक्ति सत्ता बदलते ही ‘देशभक्त’ हो जाता है. सबसे पहला देशद्रोह का मुकदमा तिलक पर चला था और दूसरा महात्मा गांधी पर. गांधीजी पर एक पत्रिका में लेख लिखने के कथित जुर्म में देशद्रोह का […]
ये दोनों शब्द समय और सत्ता के सापेक्ष होते हैं. एक ही व्यक्ति एक समय ‘देशद्रोही’ होता है और वही व्यक्ति सत्ता बदलते ही ‘देशभक्त’ हो जाता है. सबसे पहला देशद्रोह का मुकदमा तिलक पर चला था और दूसरा महात्मा गांधी पर. गांधीजी पर एक पत्रिका में लेख लिखने के कथित जुर्म में देशद्रोह का मुकदमा चलाया गया था.
अभी 2010 में तत्कालीन सत्ताधारियों ने आदिवासी, आदिम जातियों और जनजातियों की सेवा करने वाले उस डॉक्टर बिनायक सेन पर कथित ‘नक्सलियों’ की मदद करने का छद्म और झूठा आरोप लगा कर देशद्रोह का मुकदमा चलाया, जिसे भारत की सर्वोच्च न्यायालय ने 2011 में बाइज्जत बरी कर दिया.
इसलिए सत्ता के वर्तमान कर्णधारों द्वारा अपने विरोधी लोगों के विचारों के दमन करने हेतु ‘देशद्रोही’, ‘राष्ट्रद्रोही’ का आरोप लगाना आश्चर्य की बात नहीं है. सत्ता के मद में सत्ताधारियों द्वारा अपनी बात निर्भीकतापूर्वक कहना और अन्याय के खिलाफ बोलना ही देशद्रोह है, तो कन्हैया कुमार, उमर खालिद और अनिर्बान भट्टाचार्य पर झूठे आरोप लगाकर देशद्रोह का मुकदमा चलाना तो कुछ नहीं है.
निर्मल कुमार शर्मा, गाजियाबाद