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बजट से उम्मीदें

जब फरवरी की पहली तारीख को वित्त मंत्री अरुण जेटली लोकसभा में मौजूदा सरकार का छठा बजट पेश करने के लिए खड़े होंगे, तो उन पर जारी सुधारों की गति बनाये रखने के साथ चुनावी साल में लोगों की अपेक्षाओं का दबाव भी होगा. अर्थव्यवस्था के हर पहलू पर ध्यान देने की वजह से आर्थिक […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | January 22, 2019 6:31 AM

जब फरवरी की पहली तारीख को वित्त मंत्री अरुण जेटली लोकसभा में मौजूदा सरकार का छठा बजट पेश करने के लिए खड़े होंगे, तो उन पर जारी सुधारों की गति बनाये रखने के साथ चुनावी साल में लोगों की अपेक्षाओं का दबाव भी होगा. अर्थव्यवस्था के हर पहलू पर ध्यान देने की वजह से आर्थिक बढ़ोतरी का सिलसिला बना हुआ है. कर प्रणाली से जुड़े सुधारों ने अप्रत्यक्ष कर राजस्व को बढ़ाया है. आयकर ब्योरा जमा करनेवाले लोगों की तादाद भी बढ़ी है.

बैंकिंग व्यवस्था के समावेशीकरण तथा डिजिटल लेन-देन ने आबादी के बहुत बड़े हिस्से को औपचारिक आर्थिक तंत्र से जोड़ा है. लेकिन, सरकार के सामने अनेक समस्याएं भी बरकरार हैं. वित्त मंत्री के हाल के बयान इंगित करते हैं कि सुधारवादी नीति पर चलने के साथ बजट में ऐसे प्रावधानों की घोषणा हो सकती है, जिससे कम आमदनी के करदाताओं तथा संकटों से जूझते किसानों को राहत मिले. मौजूदा सरकार से पहले भी आयकर की न्यूनतम सीमा को ढाई लाख रुपये से बढ़ाने की अपेक्षा रही है.

शायद इस बजट में इसे बढ़ाकर साढ़े तीन लाख या पांच लाख रुपया किया जा सकता है. कुछ सामान्य निवेशों पर मिलनेवाली आयकर छूट को भी बढ़ाया जा सकता है. हालांकि, अन्य उभरती और विकसित अर्थव्यवस्थाओं की तुलना में भारत में आयकर देनेवालों का अनुपात कम है और आय सीमा बढ़ाने से प्रत्यक्ष कर राजस्व में कमी आयेगी, लेकिन इससे कम आयवर्ग के बचत में बढ़ोतरी होगी.

यह बचत निवेश और उपभोग में योगदान कर अर्थव्यवस्था को आगे ले जाने में मददगार हो सकती है. घरेलू और विदेशी बाजार में हालिया उथल-पुथल से परेशान उद्योग जगत को भी कॉरपोरेट करों में छूट की उम्मीद है. माना जा रहा है कि वित्त मंत्री उन्हें भी निराश नहीं करेंगे. ग्रामीण भारत के संकट से किसान परेशान हैं और उनकी आमदनी कम होने से मांग घटी है. इसका असर उत्पादन और उपभोग पर पड़ना स्वाभाविक है.

खबरों की मानें, तो सरकार कृषि में ऋण को 10 फीसदी यानी एक लाख करोड़ रुपये तक बढ़ा सकती है. इससे कुल ऋण लक्ष्य 12 लाख करोड़ रुपये हो जायेगा और सरकार किसानों पर अधिक खर्च कर सकेगी. चूंकि ज्यादातर किसान छोटे और सीमांत श्रेणी में हैं, तो सरकार उनके लिए मौद्रिक राहत की घोषणा कर सकती है. गरीबों के लिए न्यूनतम आमदनी की व्यवस्था करने पर भी केंद्र सरकार द्वारा विचार करने के संकेत मिलते रहे हैं. बेरोजगारी और वंचना से त्रस्त आबादी के लिए ऐसी कोई भी पहल बहुत बड़ी मदद हो सकती है और इससे मानव संसाधन की बेहतरी में सहयोग मिलेगा.

स्वास्थ्य योजनाओं के लिए बड़े आवंटन की जरूरत है और यह मुद्दा सरकार की प्राथमिकता भी है. अंतरिम बजट होने के बावजूद इस बजट में निश्चित रूप से लोक-लुभावन घोषणाएं होंगी, लेकिन यह भी सच है कि युवाओं, किसानों और वंचितों की बड़ी आबादी को तात्कालिक राहत की जरूरत भी है.

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