मोहब्बत में एक खूबसूरत मोड़

नाजमा खान पत्रकार nazmakhan786@gmail.com अच्छा ही हुआ कि सोहनी को महिवाल नहीं मिला और हीर रांझे की ना हो सकी! यह भी ठीक ही हुआ कि रोमियो और जूलिएट एक अधूरे इश्क के किरदार के तौर पर ही प्रेमकथाओं में दर्ज हुए! सोचिये जरा, अगर ये सभी मिल जाते, तो इश्क करनेवाले किसकी मिसाल देते? […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | February 5, 2019 5:48 AM

नाजमा खान

पत्रकार

nazmakhan786@gmail.com

अच्छा ही हुआ कि सोहनी को महिवाल नहीं मिला और हीर रांझे की ना हो सकी! यह भी ठीक ही हुआ कि रोमियो और जूलिएट एक अधूरे इश्क के किरदार के तौर पर ही प्रेमकथाओं में दर्ज हुए! सोचिये जरा, अगर ये सभी मिल जाते, तो इश्क करनेवाले किसकी मिसाल देते?

अगर ये मिल जाते, तो हजारों ख्वाहिशों वाले जहान की तस्वीर कैसी होती? क्या रोमियो ‘सेवन ईयर इच’ के बाद बदल जाता? और कुछ ऐसा ही हाल हीर का भी होता? क्या फिर हम इन्हें याद करते? क्या अधूरे इश्क की पूरी कहानी ही याद रहती है या फिर प्यार मिल जाने पर यार बदल जाता है?

क्या यह सच है कि हद से ज्यादा प्यार ही प्यार का दुश्मन बन जाता है? इश्क, मोहब्बत, प्यार का भी कोई सेचुरेशन लेवल होता है, जिसके बाद प्यार करनेवालों का एक साथ दम घुटने लगता है? यकीनन मैं गलत हूं, पर यह सवाल मैं इसलिए पूछ रही हूं कि हाल ही में दुनिया के एक बहुत अमीर आदमी जेफ बेजोस के तलाक की खबर आयी.

वह आदमी बड़ा है, सो तलाक का सौदा भी बेहद महंगा ही हुआ. लेकिन, खास बात तो यह थी कि दोनों ने 25 साल पहले हुए पहली नजर के प्यार को खत्म करते हुए कुछ शब्दों में ही अपनी जिंदगी बयान कर दी और कहा कि तलाक के बाद हम अच्छे दोस्त बनकर रहेंगे.

साहिर लुधियानवी ने कहा है कि ‘वो अफसाना जिसे अंजाम तक लाना न हो मुमकिन, उसे इक खूबसूरत मोड़ देकर छोड़ना अच्छा’. जेफ ने शायद ऐसा ही किया हो!

इस घटना ने मेरे मन में कई सवाल खड़े किये हैं कि जिस प्यार के लिए इंसान दुनिया-जहान से बगावत कर देता है, अपनों को भुला देता है और खुद को भी बिसरा देता है, क्या वह प्यार भी कहीं जाकर दम तोड़ देता है? एक प्यार के जोड़े के लिए ढाई दशक तक साथ रहना कोई छोटा लम्हा नहीं है. इसलिए सवाल उठते हैं.

रिश्तों को बनाने के लिए उन्हें मोहब्बत से बुनना पड़ता है और इस बुनाई में अगर गलती से भी कोई गांठ पड़ गयी, तो वह ताउम्र रह ही जाती है.

क्या वाकई इश्क के मारे लोगों की दुनिया में कोई और गम नहीं होता मोहब्बत के सिवा? दुनिया की पहली जोड़ी आदम-हव्वा से शुरू हुई कायनात में रोटी, कपड़ा और मकान क्या मोहब्बत पर हावी रहते हैं या मोहब्बत इन सब पर? आखिर गालिब ने क्यों लिखा- ‘मोहब्बत में नहीं है फर्क जीने और मरने का, उसी को देखकर जीते हैं जिस काफिर पे दम निकले.’ गालिब ने यह शे’र किसको देखकर लिखा था, यह कहना बहुत मुश्किल है.

कहनेवाले तो यह भी कहते हैं कि प्यार को समझाया नहीं जा सकता, पर लगता है इसे समझा भी नहीं जा सकता. यानी जो समझा वह डूबकर ही पार हुआ, पर नया ट्रेंड तो डूबने की बजाय कूदकर पार करने में ज्यादा यकीन रखनेवाला दिखायी देता है. शरतचंद्र के कालजयी उपन्यास ‘देवदास’ का देवदास आज पारो के लिए अपनी जिंदगी तबाह नहीं करता, बल्कि कहता है- ‘इसमें तेरा घाटा, मेरा कुछ नहीं जाता’.

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