कड़वी दवा नहीं, शहद की जरूरत
रेलवे किराये में 14.2 प्रतिशत की वृद्धि एक जन विरोधी फैसला है, जिसका सबसे ज्यादा असर गरीब व निम्न मध्यम वर्गीय लोगों पर पड़ेगा. जब 2012 में कांग्रेस सरकार ने रेल किराया बढ़ाया था तब मोदीजी ने ट्वीट कर उस फैसले की निंदा की थी और कहा था कि रेल किराये में बढ़ोतरी से महंगाई […]
रेलवे किराये में 14.2 प्रतिशत की वृद्धि एक जन विरोधी फैसला है, जिसका सबसे ज्यादा असर गरीब व निम्न मध्यम वर्गीय लोगों पर पड़ेगा. जब 2012 में कांग्रेस सरकार ने रेल किराया बढ़ाया था तब मोदीजी ने ट्वीट कर उस फैसले की निंदा की थी और कहा था कि रेल किराये में बढ़ोतरी से महंगाई बढ़ेगी.
अच्छा होगा अगर मोदी जी फिर से ट्वीट कर बढ़े रेल किराये को वापस लेने की घोषणा करें! पहले से ही महंगाई के बोझ से दबी जनता के ऊपर रेलवे किराये में अभूतपूर्व वृद्धि कर और बोझ बढ़ा दिया गया. यात्री किराये में 14.2 प्रतिशत और माल भाड़े में 6.5 प्रतिशत की वृद्धि के बाद क्या महंगाई नहीं बढ़ेगी? इसके पीछे आपकी सरकार का तर्क है कि इससे रेलवे की गुणवत्ता सुधारी जायेगी. तो क्या यूपीए सरकार जो किराया बढ़ाती थी, वह कांग्रेस के पार्टी फंड में जमा होता था?
राजग सरकार के इस कदम से तो महंगाइे एक झटके में बढ़ जायेगी क्योंकि जो वस्तुएं रेल से आती-जाती हैं, वे सभी महंगी हो जायेंगी. यात्री किराये में 14.2 प्रतिशत वृद्धि से 0.1 प्रतिशत, तो माल भाड़े में 6.5 प्रतिशत वृद्धि से लगभग 1 प्रतिशत महंगाई की दर बढ़ जायेगी.
किसानों के खाद की कीमत भी बढ़नी तय है. कोयले पर भी इसका प्रभाव दिखोगा जिसकी ढुलाई 70-75 रुपये प्रति टन बढ़ जायेगी, जिसकी चपेट में बिजली कंपनियां भी आयेंगी और बिजली दर 0.5 प्रतिशत महंगी हो जायेगी. स्टील की भी कीमत 5 प्रतिशत तक बढ़ सकती है, जिससे स्टील से बनने वाला हर सामान, गाड़ी से फ्रिज तक महंगा हो सकता है. माल ढुलाई बढ़ने से सीमेंट भी तीन-चार रुपये प्रति बोरी महंगा होगा. मोदी जी! 10 वर्षो से महंगाई का कड़वा घूंट पी रहे देश को अब थोड़े शहद की जरूरत है.
विकास ओझा, गोलमुरी, जमशेदपुर