गर्ल्स स्कूलों में काउंसेलिंग की हो व्यवस्था
सामाजिक व्यवस्था में एक तरफा प्रेम रूपी संक्रमित तत्व कितने घातक होते हैं इसका अंदाजा सहज नहीं लगाया जा सकता. स्कूल-कॉलेज जाने वाली लड़कियां छेड़छाड़ का शिकार होती रहती हैं, पर हर मामले सामने नहीं आ पाते. प्रकरण यदि बहुत गंभीर हो जाये तभी बात सामने आती है. स्कूल जाने वाली छात्राओं की तादाद पूर्व […]
सामाजिक व्यवस्था में एक तरफा प्रेम रूपी संक्रमित तत्व कितने घातक होते हैं इसका अंदाजा सहज नहीं लगाया जा सकता. स्कूल-कॉलेज जाने वाली लड़कियां छेड़छाड़ का शिकार होती रहती हैं, पर हर मामले सामने नहीं आ पाते.
प्रकरण यदि बहुत गंभीर हो जाये तभी बात सामने आती है. स्कूल जाने वाली छात्राओं की तादाद पूर्व की तुलना में काफी अधिक बढ़ी है, लेकिन असामाजिक तत्वों पर उस हद तक कारगर नियंत्रण के उपाय नहीं बन पाये हैं, जिससे लड़कियों को, उसके माता-पिता को, परिवार को, समाज को स्वस्थ वातावरण में जीने का माहौल मिल सके.
अच्छा होता हर एक बालिका विद्यालय में सप्ताह में एक दिन काउंसेलिंग की व्यवस्था होती, ताकि अशोभनीय वारदात से लड़कियां सुरक्षित रहतीं तथा जीवन पथ पर भटके लड़के कानून के भय से गलत रास्ते पर नहीं जाते.
मिथिलेश कुमार, बलुआचक (भागलपुर)