Advertisement
जवानों की शहादत पर नहीं होनी चाहिए सियासत
45 जवानों की शहादत के आंसू अभी सूखे भी नहीं कि सियासत शुरू हो गयी. किसी भी लोकतांत्रिक देश में सियासत चलाने के लिए एक से अधिक राजनीतिक पार्टियां होती हैं, जो सत्ता के लिए एक-दूसरे के ऊपर आरोप-प्रत्यारोप कर दूसरे राजनीतिक पार्टियों को विपक्ष में बैठाने के लिए जद्दोजहद करते रहते हैं, परंतु बात […]
45 जवानों की शहादत के आंसू अभी सूखे भी नहीं कि सियासत शुरू हो गयी. किसी भी लोकतांत्रिक देश में सियासत चलाने के लिए एक से अधिक राजनीतिक पार्टियां होती हैं, जो सत्ता के लिए एक-दूसरे के ऊपर आरोप-प्रत्यारोप कर दूसरे राजनीतिक पार्टियों को विपक्ष में बैठाने के लिए जद्दोजहद करते रहते हैं, परंतु बात जब देश की हो तो हम सब एक हैं.
भारत के संविधान में वर्णित है कि भारत एकता और अखंडता का घोतक है. लेकिन आज की राजनीति पर अगर दृष्टिगोचर करें तो कुछ नेता अपनी छवि चमकाने के लिए संविधान में वर्णित एकता और अखंडता को दरकिनार कर अपने देश को ही सवालों के घेरे में खड़े कर देते हैं, ऐसी मानसिकता देश के लिए खतरनाक है.
अभिनव कुमार, लोहिया नगर (बेगूसराय)
Prabhat Khabar App :
देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए
Advertisement