जब राजनारायण ने इंदिरा गांधी को रायबरेली से हरा दिया

अनुज कुमार सिन्हा 1977 वह साल था जब पहली बार कांग्रेस सत्ता से बाहर हुई थी. इस आम चुनाव की एक और बड़ी खबर थी. वह खबर थी- लाेकसभा चुनाव में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की रायबरेली में हार. उन्हें 55,202 मताें से हराया था भारतीय लाेकदल के प्रत्याशी राजनारायण ने. इंदिरा गांधी काे सिर्फ […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | February 23, 2019 2:35 AM

अनुज कुमार सिन्हा

1977 वह साल था जब पहली बार कांग्रेस सत्ता से बाहर हुई थी. इस आम चुनाव की एक और बड़ी खबर थी. वह खबर थी- लाेकसभा चुनाव में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की रायबरेली में हार. उन्हें 55,202 मताें से हराया था भारतीय लाेकदल के प्रत्याशी राजनारायण ने. इंदिरा गांधी काे सिर्फ 1,22,517 मत मिले थे, जबकि राजनारायण काे 1,77, 719 मत. कुल चार प्रत्याशी थे.

अपने जीवन में इंदिरा गांधी लाेकसभा चुनाव में सिर्फ एक बार हारीं. वह भी अपने गढ़ से. इस हार के बाद इंदिरा गांधी ने रायबरेली से कभी चुनाव नहीं लड़ा. इंदिरा गांधी काे दुनिया की ताकतवर राजनीतिक हस्तियाें में माना जाता था.
उन्होंने जून 1975 में आपातकाल लगाया था. आपातकाल के बाद जब देश में लाेकसभा चुनाव हुआ, ताे कांग्रेस काे बुरी हार का सामना करना पड़ा था. इंदिरा गांधी के साथ-साथ उनके बेटे संजय गांधी भी चुनाव हार गये थे. यह चुनाव इतिहास की बड़ी घटना थी.
जनता की नाराजगी को नहीं भांप पायीं इंदिरा : 1977 में शायद इंदिरा गांधी चुनाव कराने के लिए तैयार नहीं हाेती, अगर उन्हें जनता की नाराजगी का सही फीडबैक मिल गया हाेता. उन्हें उनके निजी सचिव पीएन धर ने खुफिया हवाले से जानकारी दी थी कि अगर चुनाव कराया जाये ताे कांग्रेस 340 सीट जीत सकती है. हुआ इसका उलटा. आपातकाल से जनता नाराज थी, विपक्ष एक हाे चुका था और जनता पार्टी के बैनर तले चुनाव लड़ रहा था. जयप्रकाश नारायण ने सभी काे एकजुट किया था.
खाना खा रही थीं तभी मिली हार की खबर
आरके धवन इंदिरा गांधी के करीबियाें में एक थे. उन्हाेंने एक इंटरव्यू में इस बात का खुलासा किया था कि जब इंदिरा गांधी रात का खाना खा रही थीं, उसी समय उन्हें उनकी और कांग्रेस की हार की खबर मिली थी. उन्हाेंने अपने काे संभालते हुए कहा था-अब मैं अपना अधिक समय अपने परिवार काे दूंगी. चुनाव में हार-जीत से ज्यादा महत्वपूर्ण देश का मजबूत हाेना है. मार्च 1977 में सत्ता से बाहर हाेने के एक साल के भीतर इंदिरा गांधी ने चिकमंगलूर सीट से उपचुनाव जीतकर फिर सांसद बन गयीं.
पहली बार पीएम को पक्ष रखने के लिए जाना पड़ा कोर्ट
ऐसी बात नहीं है कि राजनारायण और इंदिरा गांधी का काेई पहली बार चुनाव में मुकाबला हुआ था. 1971 के चुनाव में इसी रायबरेली में इंदिरा गांधी ने राजनारायण काे भारी मताें से हरा दिया था. तब संयुक्त साेशलिस्ट पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ रहे राजनारायण काे भराेसा था कि वे जीतेंगे. लेकिन जब रिजल्ट निकला ताे एक लाख से ज्यादा मताें से वे हार गये थे.
इसके बाद चुनाव में धांधली का आराेप लगाते हुए राजनारायण अदालत में गये थे. लंबा मामला चला. इसे इंदिरा गांधी बनाम राज नारायण के मामले के रूप में जाना जाता है. इस मामले की खासियत यह थी कि पहली बार देश की प्रधानमंत्री काे अपना पक्ष रखने के लिए इलाहाबाद हाइकाेर्ट में जाना पड़ा था. न्यायमूर्ति जगमाेहन लाल ने तब आदेश दिया था कि सुनवाई के लिए जब इंदिरा गांधी अदालत के अंदर आयें, ताे काेई खड़ा नहीं हाेगा, क्याेंकि सिर्फ जज के आने पर ही खड़ा हाेने का नियम है.
न्यायमूर्ति जगमाेहन ने इंदिरा गांधी के खिलाफ फैसला सुनाया था और 1971 के उनके चुनाव काे रद्द कर दिया था. साथ ही उनके छह साल तक चुनाव लड़ने पर प्रतिबंध लगा दिया था. अदालत के इस फैसले के कुछ दिनाें बाद ही इंदिरा गांधी ने देश में आपातकाल लगा दिया था.

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