14.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

हिंदी पर राजनीति दुर्भाग्यपूर्ण

हिंदी राष्ट्रभाषा होने के बावजूद अपनी अस्मिता और अस्तित्व तलाश रही है और अब इसके प्रसार और सम्मान की पहल पर राजनीतिक किचकिच यह संकेत दे रहा है कि एक बार फिर हिंदी राजनीति का शिकार हो रही है. गृह मंत्रालय किसी पर हिंदी थोप नहीं रही है और यदि यह कह रही है कि […]

हिंदी राष्ट्रभाषा होने के बावजूद अपनी अस्मिता और अस्तित्व तलाश रही है और अब इसके प्रसार और सम्मान की पहल पर राजनीतिक किचकिच यह संकेत दे रहा है कि एक बार फिर हिंदी राजनीति का शिकार हो रही है. गृह मंत्रालय किसी पर हिंदी थोप नहीं रही है और यदि यह कह रही है कि कर्मचारी हिंदी का प्रयोग कामकाज में, सोशल साइट पर करें तो इसमें बुरा क्या है?

राष्ट्रभाषा को बढ़ाने के लिए उठाया गया कदम संवैधानिक है. इससे भाषा तो समृद्घ होगी ही, साथ में प्रशासनिक, व्यापारिक और वैश्विक रूप से भी गतिशीलता मिलेगी. वैसे भी भाषा जोड़ती है, तोड़ती नहीं. यह कहना कि इससे दक्षिण, पूर्वोत्तर और कश्मीर के लोगों का कामकाज अलग हो जाएगा, बिल्कुल अर्थहीन है. यह भाषा कश्मीर से कन्याकुमारी तक को जोड़ती है, जो प्रेम और बंधुत्व का प्रतीक है.

नेहा चौधरी, जमशेदपुर

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें