गायब होतीं पान की दुकानें

क्षमा शर्मा वरिष्ठ पत्रकार kshamasharma1@gmail.com सर्दियों में जुकाम-खांसी होने पर देसी पान का पत्ता, अदरक कूट कर उसका रस निकालकर, उसे गरम करके उसमें काली मिर्च और शहद मिला कर खाने से ठीक होती रही हैं. अभी कुछ दिन पहले जब ऐसा ही हुआ, तो पान लेने बाजार गयी. लेकिन अफसोस जिन्हें पान की दुकानें […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | February 26, 2019 6:31 AM

क्षमा शर्मा

वरिष्ठ पत्रकार
kshamasharma1@gmail.com
सर्दियों में जुकाम-खांसी होने पर देसी पान का पत्ता, अदरक कूट कर उसका रस निकालकर, उसे गरम करके उसमें काली मिर्च और शहद मिला कर खाने से ठीक होती रही हैं. अभी कुछ दिन पहले जब ऐसा ही हुआ, तो पान लेने बाजार गयी.
लेकिन अफसोस जिन्हें पान की दुकानें समझ रही थीं, अब वहां पान नहीं मिलता. उन पर तरह-तरह के पान मसाले और गुटखे बिकते हैं. सालों पहले एक पान वाले ने कहा था कि पान बेचना मुश्किल काम है. चूने और कत्थे से हाथ हमेशा रंगे रहते हैं. पान मसाले के पैकेट्स ने इस मुश्किल को कम तो किया है. पान के पत्ते जिस तरह खराब हो जाते थे, उससे भी मुक्ति मिली है. हर नुक्कड़, गली पर पान की दुकानें अब अतीत की बात है. दिल्ली का यह हाल है, बाकी जगहों पर भी ऐसा ही होगा शायद.
यों खाने के बाद पान खाना स्वास्थ्य के लिए अच्छा माना जाता रहा है. इसलिए अक्सर रात को खाना खाने के बाद लोग पान खाने जाया करते थे. हर शहर में पान की मशहूर दुकानें हुआ करती थीं. पहले शादी-ब्याहों में भी शहर के मशहूर पान वालों को बुलाया जाता था. पान और उसमें पड़नेवाली तमाम सामग्री की खुशबू से पूरा पंडाल महका करता था और मेहमान अपनी-अपनी पसंद की पान की गिलौरियां बनवाकर खाते थे.
गुलकंद के मीठे पान की विशेष मांग रहती थी. पुराने घरों में तो पानदान भी मिलते थे. दादियां, नानियां, मांएं इन्हें खूब प्यार से लगाकर सबको खिलाती थीं. इसके अलावा किसी भी शुभ कार्य में पान के पत्ते का विशेष महत्व रहा है. पूजा के लोटे में पान लगाया जाता था.
आज भी लगाया जाता है. इनके चित्र भी तमाम कैलेंडर्स और विवाहोत्सव के कार्ड्स में दिखायी देते हैं, मगर जीवन से पान लुप्त होता जा रहा है. खानेवाले ही नहीं बचे, तो पान बेचारा भी क्या करे.मगही, देसी, बनारसी, मिठुआ, कलकतिया न जाने कितने किस्म के पान अपने देश में मिलते हैं. लेकिन, पिछले डेढ़-दो दशक में पान खाना कस्बाई होने का प्रतीक बना दिया गया. पान खानेवाले की स्टेटस पढ़े-लिखे, प्रोफेशनल्स में कम मानी जाने लगी. रही-सही कसर मसाले-गुटखे की हर जगह की उपलब्धता ने पूरी कर दी. जबकि पान मसाले को स्वास्थ्य के लिए हानिकारक माना जाता है. तंबाकू के उत्पाद तो खराब होते ही हैं, इनके मेल से तमाम किस्म के रोग भी होते हैं.
फिल्म डाॅन में अमिताभ बच्चन पर फिल्माया गया गाना- खइके पान बनारस वाला, अपने समय में सुपरहिट था. लेकिन, अब फिल्मों में पान से संबंधित गाने दिखायी नहीं देते. क्योंकि मान लिया गया है कि देश का पैंसठ प्रतिशत युवा पान खाने से परहेज करता है. हमारे देश से पाकिस्तान को भी पान निर्यात किया जाता है. अब अगर पाकिस्तान से व्यापार बंद हो गया, तो पान उगानेवाले किसानों का क्या हाल होगा?
पान खानेवालों और बेचनेवालों की इस तरह कमी होने पर पान उगानेवालों पर क्या असर होगा, इसका कोई अध्ययन किया गया है या नहीं, यह अभी देखना होगा.

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