30.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

कार्रवाई का संदेश

पुलवामा त्रासदी के 12 दिन बाद पाकिस्तान के बालाकोट में स्थित जैशे-मोहम्मद के बड़े अड्डे तथा पाक-अधिकृत कश्मीर में दो अन्य आतंकी ठिकानों को तबाह कर भारत ने जता दिया है कि आतंकवाद के खिलाफ कोई भी कार्रवाई करने में वह हिचकेगा नहीं. उरी हमले के बाद पाक-अधिकृत क्षेत्र में नियंत्रण रेखा के निकट स्थित […]

पुलवामा त्रासदी के 12 दिन बाद पाकिस्तान के बालाकोट में स्थित जैशे-मोहम्मद के बड़े अड्डे तथा पाक-अधिकृत कश्मीर में दो अन्य आतंकी ठिकानों को तबाह कर भारत ने जता दिया है कि आतंकवाद के खिलाफ कोई भी कार्रवाई करने में वह हिचकेगा नहीं. उरी हमले के बाद पाक-अधिकृत क्षेत्र में नियंत्रण रेखा के निकट स्थित अड्डों को निशाना बनाया गया था. लेकिन बालाकोट पर लड़ाकू जहाजों ने भारी मात्रा में बमबारी कर हमारी आतंकवाद-निरोधक सुरक्षा नीति में नया आयाम जोड़ा है. इसका संदेश यही है कि यदि पाकिस्तान-समर्थित गिरोह भारत को नुकसान पहुंचायेंगे, तो भारत नियंत्रण रेखा और अंतरराष्ट्रीय सीमा के पार जाकर भी उन्हें बर्बाद कर सकता है.
केंद्रीय मंत्री अरुण जेटली ने उचित ही कहा है कि कई बरसों से लगातार हो रही आतंकी वारदातों के बावजूद सीमा-पार बैठे गिरोहों और उनके सरगनाओं को निशाना नहीं बना पाना भारत के लिए बेचैनी का कारण थी. अक्सर यह सवाल सरकार, सेना और देश के सामने उठते रहते थे कि जैसा अमेरिका ने ओसामा बिन लादेन के साथ किया, वैसा हम मसूद अजहर, हाफिज सईद और सलाहुद्दीन जैसे मानवता के दुश्मनों के साथ क्यों नहीं कर सकते हैं.
तमाम चेतावनियों के बाद भी पाकिस्तान के अलगाववाद, आतंकवाद और चरमपंथ को पालने-पोसने की नीति पर चलते रहने तथा अंतरराष्ट्रीय समुदाय द्वारा उसके ऊपर समुचित दबाव बना पाने में कामयाबी नहीं मिलने के कारण ऐसे सवाल उठना वाजिब ही था. परंतु, पाकिस्तान की हेठी ने भारत के सब्र का बांध तोड़ दिया. साल 1971 के बाद पहली बार है, जब वायु सेना के युद्धकों ने पाकिस्तानी सीमा में प्रवेश किया है. आतंकी अड्डे पर करीब हजार किलो के लेजर-निर्देशित बमों को गिराना और कार्रवाई में 12 युद्धकों का भाग लेना बालाकोट हमले की गंभीरता को इंगित करते हैं. पाकिस्तानी सुरक्षा तंत्र के चौकन्ना रहने के बाद भी इरादे को अंजाम देकर वापस आना दुरुस्त तैयारी का सबूत है.
इसमें कोई दो राय नहीं है कि परमाणु क्षमता से लैस दो देशों के बीच ऐसे किसी हमले में लड़ाकू विमानों के हिस्सा लेने और नियंत्रण रेखा को पार कर हमले करने से तनातनी के बड़ी झड़प या युद्ध में तब्दील होने की आशंका रहती है. लेकिन इस तरह की कार्रवाई का फैसला लेना मजबूत राजनीतिक इच्छाशक्ति को दर्शाता है.
पाकिस्तान ने 2003 में नियंत्रण रेखा और अंतरराष्ट्रीय सीमा पर लागू युद्धविराम का निरंतर उल्लंघन किया है. इसके साथ आतंकियों को घुसपैठ के जरिये कश्मीर भेजने तथा अलगाववादी भावनाएं भड़काने की कोशिशें भी जारी रही हैं. पाकिस्तानी सरकार और सेना का आतंकी गिरोहों से सीधे संबंध होने के अनगिनत प्रमाण हैं. उसे यह एहसास अच्छी तरह से हो जाना चाहिए कि आतंकियों को निशाना बनाने की कोशिश में भारत किसी हद या सरहद की परवाह अब नहीं करेगा.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें