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सिविल सेवा परीक्षा स्थगन दुर्भाग्यपूर्ण

झारखंड कार्मिक विभाग द्वारा पंचम जेपीएससी सिविल सेवा परीक्षा को स्थगित किया जाना दुर्भाग्यपूर्ण है. विदित हो कि मुख्य परीक्षा 16 जुलाई से आयोजित की जाने वाली थी और आयोग ने परीक्षा की पूरी तैयारी कर ली थी. मुख्य परीक्षा में शामिल होने के लिए लगभग सभी छात्र रांची पहुंच चुके थे, लेकिन कार्मिक विभाग […]

झारखंड कार्मिक विभाग द्वारा पंचम जेपीएससी सिविल सेवा परीक्षा को स्थगित किया जाना दुर्भाग्यपूर्ण है. विदित हो कि मुख्य परीक्षा 16 जुलाई से आयोजित की जाने वाली थी और आयोग ने परीक्षा की पूरी तैयारी कर ली थी. मुख्य परीक्षा में शामिल होने के लिए लगभग सभी छात्र रांची पहुंच चुके थे, लेकिन कार्मिक विभाग के एक पत्र के कारण जेपीएससी की परीक्षा को स्थगित करना पड़ा.

बताया जाता है कि जेपीएससी ने पीटी परीक्षा में आरक्षण नियमों का पालन नहीं किया और चूंकि मामला माननीय हाईकोर्ट में विचाराधीन है अत: इसको देखते हुए परीक्षा पर रोक लगायी गयी है. सवाल यह है कि परीक्षा का रिजल्ट फरवरी में ही प्रकाशित किया गया तो उस समय ही पीटी के रिजल्ट को निरस्त क्यों नहीं किया गया? मामला झारखंड विधानसभा में भी उठा था जहां जेपीएससी के हवाले से कार्मिक ने अपने लिखित जवाब में कहा था कि परीक्षाफल का प्रकाशन नियमानुकूल किया गया है और इस पर झारखंड के महाधिवक्ता से राय ली गयी है. खुद जेपीएससी ने कार्मिक विभाग को एक पत्र जारी कर स्थगन आदेश को वापस लेने की मांग की है.

वास्तव में, झारखंड के कुछ नेता कार्मिक विभाग और सरकार को गुमराह कर अपनी राजनीति को चमकाने का प्रयास कर रहे हैं. ये नेता उस समय कहां थे जब प्रथम और द्वितीय जेपीएससी में जमकर धांधली की गयी और आज मामले की जांच सीबीआइ कर रही है. विगत एक-दो वर्षो से जेपीएससी के कार्यप्रणाली में सुधार आया है और परीक्षाएं नियमित हो गयी हैं. जेपीएससी एक संवैधानिक संस्था है. अगर बिना किसी ठोस कारण के इसके कार्यो में हस्तक्षेप किया जाता है तो इसकी स्वायत्तता प्रभावित हो सकती है.

रघुनाथ सिंह, ई-मेल से

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