पाकिस्तान में मंत्री होना
आलोक पुराणिक वरिष्ठ व्यंग्यकार puranika@gmail.com मंत्री होना मुश्किल काम है और पाक में मंत्री होना बहुत मुश्किल काम है. पाक में मंत्री की आफत यह है कि हाथ में उसके कुछ न होता, पर इंटरनेशनल गालियां खाने का जिम्मा मंत्री का होता है. पाक का आतंकी-सेना गठजोड़ रात में बम फोड़कर निकल लेता है, पर […]
आलोक पुराणिक
वरिष्ठ व्यंग्यकार
puranika@gmail.com
मंत्री होना मुश्किल काम है और पाक में मंत्री होना बहुत मुश्किल काम है. पाक में मंत्री की आफत यह है कि हाथ में उसके कुछ न होता, पर इंटरनेशनल गालियां खाने का जिम्मा मंत्री का होता है. पाक का आतंकी-सेना गठजोड़ रात में बम फोड़कर निकल लेता है, पर गालियां मंत्री खाता है. पाकिस्तान के इमरान खान की आफत दोहरी है, आतंकी-सेना गठजोड़ के सामने उन्हें परम आतंकी दिखना है और इंटरनेशनल लेवल पर उन्हें परम शांतिप्रिय दिखना है.
पाक सेना भेड़िया है, पाक आतंकी भेड़िये हैं, इनकी पहचान साफ है. पर लोकतंत्र की खाल ओढ़ कर इमरान खान को कभी भेड़िया दिखना है कभी मेमना दिखना है, इस चक्कर में इमरान खान ऐसे जानवर हो जाते हैं, जो हास्यास्पद लगते हैं.
इमरान कह रहे होते हैं कि हमें शांति चाहिए. तभी आइएसआइ और सेना के संयुक्त तत्वावधान में भारत में धमाके हो चुके हैं. पाकिस्तान कई मुंह वाला देश है, जिसमें एक मुंह को न पता होता कि दूसरा मुंह क्या कह गया. उसको दोमुंहा कहना अंडरस्टेटमेंट है, उसके मुंह कितने हैं- यह किसी को ना पता.
पाक का मंत्री कहता है- हमें देश में उद्योगों का विकास करना है. और विकास हो जाता है आतंकियों का. इमरान खान कहते हैं कि मुझे सबूत दो तो मैं सब सही कर दूंगा. पाकिस्तान की सरकार को अब तक यह सबूत न मिल पाया है कि ओसामा बिन लादेन पाकिस्तान में पकड़ा गया और वहीं मार भी गिराया गया था. पर पाकिस्तान को कोई सबूत न मिला. इमरान खान रोज सुबह उठ कर यह सबूत तलाशते हैं कि आज मैं पीएम हूं या नहीं. पाकिस्तान में जो दिखता है, वह है नहीं.
जिसे पीएम समझो वह सेना का स्टेनो निकलता है, सेना जो कहे, वह आॅर्डर नोट करता है. जिसे सेना समझो, वह आतंकियों की केयरटेकर निकलती है. जिन्हें आतंकियों का अड्डा समझो उन्हें पाकिस्तानी नेता अजहर के मदरसे बताते हैं. जिन्हें मदरसे समझो वहां बम-बंदूक बरामद होते हैं. जिन्हें मदरसों के टीचर समझो, वे अरबों-खरबों के कारोबारी निकलते हैं. जिन्हें आप कारोबारी समझो, वह सांसद निकल जाते हैं और जिन्हें आप सांसद समझो, वह आतंकी मसूद अजहर के प्रवक्ता निकल जाते हैं. पाकिस्तान क्या है, यह समझना भी कन्फ्यूजन है, पाकिस्तान के पास न्यूक्लियर बम ज्यादा हैं या भीख के कटोरे ज्यादा हैं, यह पता लगाना भी मुश्किल है.
खैर, जिस अमेरिका को टीवी पर नार्थ कोरिया के किम कई बार उड़ा चुके थे, उसी अमेरिका के ट्रंप के साथ किम की शिखर वार्ता की खबरें हैं. टीवी खबरों के साथ वैधानिक चेतावनी लिखकर आनी चाहिए- अधिकांश काल्पनिक हैं.
युद्ध के बारे में जितना सेना के अधिकारी नहीं जानते, उससे ज्यादा अब टीवी एंकर जानने लगे हैं. एक टीवी एंकर कुछ समय पहले शांति वार्ता प्रोग्राम का एंकर था, जो शांति से चलनेवाले एक जनरेटर ने स्पांसर किया था, फिर वही टीवी एंकर तोप के गोले बरसा रहा था. शो किसी धमाकेदार बैटरी ने स्पांसर किया था. एंकर कुछ भी करवा सकता है, स्पांसर बताओ.