महिलाओं में बढ़ी प्रतिरोध की क्षमता
इन दिनों महिलाओं के साथ हिंसा की घटनाओं में बेतहाशा वृद्धि हुई है. सवाल उठता है कि ऐसा करने वालों को नैतिक साहस कहां से मिलता है जो वे दिनदहाड़े, भीड़ के सामने ऐसी हरकतें करते हैं. गहराई में झांकें तो पितृसत्ता पर आधारित परिवार और समाज इन घटनाओं के लिए जिम्मेदार हैं. मौजूदा समय […]
इन दिनों महिलाओं के साथ हिंसा की घटनाओं में बेतहाशा वृद्धि हुई है. सवाल उठता है कि ऐसा करने वालों को नैतिक साहस कहां से मिलता है जो वे दिनदहाड़े, भीड़ के सामने ऐसी हरकतें करते हैं. गहराई में झांकें तो पितृसत्ता पर आधारित परिवार और समाज इन घटनाओं के लिए जिम्मेदार हैं. मौजूदा समय में पितृसत्ता हिंसा के ही जरिये महिलाओं पर अपना कब्जा बनाये रख सकती है क्योंकि अगर महिलाएं उसके कब्जे में नहीं रहीं तो उसका पूरा अस्तित्व हिल जायेगा.
आज कितनी महिलाएं अपने ऊपर होने वाले अत्याचार के विरोध में आवाज उठाती हैं या न्यायालय की शरण में जाती हैं? महिलाओं को अपना वजूद समझना होगा. उसे अपने मान-सम्मान की रक्षा खुद करनी होगी. आज महिलाएं पहले की तरह खामोश नहीं हैं. उनमें प्रतिरोध की क्षमता उजागर हो रही है, जो सराहनीय है.
प्रभालता सिंह, देवघर