फिर से किरपा बरसाने लगे निर्मल बाबा
प्रभात खबर ने दो साल पहले निर्मल बाबा के करतूतों की सिलसिलेवार तरीके से पोल खोली थी और लोगों को इस ढोंगी बाबा के अलौकिक अंधविश्वास के जाल से बाहर नकालने में सफल भी रहा. लेकिन कुछ टीवी चैनल चंद पैसों की खातिर अपने विवेक को ताक पर रखकर अंधविश्वास का जाल फैलाने में उनका […]
प्रभात खबर ने दो साल पहले निर्मल बाबा के करतूतों की सिलसिलेवार तरीके से पोल खोली थी और लोगों को इस ढोंगी बाबा के अलौकिक अंधविश्वास के जाल से बाहर नकालने में सफल भी रहा. लेकिन कुछ टीवी चैनल चंद पैसों की खातिर अपने विवेक को ताक पर रखकर अंधविश्वास का जाल फैलाने में उनका साथ दे रहे हैं.
ऐसे चैनल निर्मल बाबा के कार्यक्रम को प्रसारित करते समय टीवी स्क्रीन के एक कोने पर ‘एडवरटाइजमेंट’ या ‘प्रोमोशनल वीडियो’ का टैग लगा देते हैं. लेकिन क्या बस इतने से ही उनकी जिम्मेदारी खत्म हो जाती है? क्या स्क्रीन के एक कोने में अंगरेजी में एक टैग लगा कर आप टीवी पर कुछ भी दिखा सकते हैं? टीवी चैनलों को यह समझना पड़ेगा, कि हमारे देश में बहुत बड़ा वर्ग ऐसा है, जिन्हें अंगरेजी की समझ नहीं है, वे आपके एडवरटाइजमेंट का मतलब नहीं समझते. वे बस इतना जानते हैं कि इसे टीवी पर दिखाया जा रहा है, तो यह गलत नहीं होगा. बहुत सारे चैनल अब इस तरह के प्रोग्राम पर रोक लगा चुके हैं, जो बधाई के पात्र हैं.
लेकिन इसके साथ ही लोगों को भी समझना चाहिए कि इस स्वघोषित बाबा के बताये गये उपायों में न कोई धार्मिक सत्यता है और न ही वैज्ञानिक तर्क. यह दसवंत के नाम पर हमारी दिन-रात एक कर कमाये हुए पैसे हमसे बिलकुल शालीनता से ऐंठ रहे हैं. टॉफी खाने या खिलाने से हमारी समस्या खत्म नहीं होगी. इसके लिए हमें स्वयं जागरूक होना पड़ेगा और यह समझना होगा कि हमारा पवित्र कर्म ही हमारी पूंजी है एवं कठोर परिश्रम ही हमारा भगवान है. अंत में सूचना एवं प्रसारण मंत्रलय को भी अंधविश्वास फैलाने में यागदान दे रहे टीवी चैनलों पर कड़ी कार्रवाई करनी चाहिए.
सैंकी गुप्ता, गोमो