मध्यस्थता के नाम पर विवाद टालने का प्रयास न हो

अयोध्या भगवान राम के जन्म स्थान के रूप में पूरी दुनिया में मान्य है. राम अयोध्या के पर्याय हैं और साथ ही देश की अस्मिता के प्रतीक भी. अगर उनके नाम का मंदिर उनके जन्म स्थान पर नहीं बन सकता, तो और कहां बन सकता है? आखिर इस साधारण से प्रश्न पर ईमानदारी से विचार […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | March 11, 2019 6:12 AM
अयोध्या भगवान राम के जन्म स्थान के रूप में पूरी दुनिया में मान्य है. राम अयोध्या के पर्याय हैं और साथ ही देश की अस्मिता के प्रतीक भी. अगर उनके नाम का मंदिर उनके जन्म स्थान पर नहीं बन सकता, तो और कहां बन सकता है? आखिर इस साधारण से प्रश्न पर ईमानदारी से विचार करने वाला कोई भी व्यक्ति या संगठन अयोध्या में राम जन्मभूमि मंदिर के निर्माण का विरोध कैसे कर सकता है? यदि वह करता है तो क्या उसे भारतीय समाज का हितैषी कहा जा सकता है?
स्पष्ट नहीं कि अयोध्या विवाद के समाधान के लिए मध्यस्थता की सूरत बनेगी या नहीं, लेकिन अगर ऐसी सूरत बनती है तो फिर यह सुनिश्चित करना आवश्यक है कि यथाशीघ्र समाधान के करीब पहुंचा जाये, क्योंकि पहले ही बहुत अधिक देर हो चुकी है और लोग अधीर हो रहे हैं. इस अधीरता का आभास सुप्रीम कोर्ट को भी होना चाहिए. मध्यस्थता के नाम पर ऐसा कुछ नहीं होना चाहिए, जिससे विवाद को टालने की कोशिश होती दिखे.
डाॅ हेमंत कुमार, गोराडीह (भागलपुर)

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