अपराधियों का संसद पहुंचना समाज के लिए खतरनाक
2019 लोकसभा चुनाव की तारीखों की घोषणा के साथ ही एक-दूसरे पर शब्द बाण चलानेवाले राजनीतिक दल और भी आक्रामक दिख रहे हैं. एक-दूसरे को चोर, बेईमान, अपराधी आदि साबित करने में लगे हैं. लेकिन, इन सबका निर्णय हमारे यानी वोटरों के हाथों में है. पांच साल पर मिलने वाले इन मौकों पर हमें यह […]
2019 लोकसभा चुनाव की तारीखों की घोषणा के साथ ही एक-दूसरे पर शब्द बाण चलानेवाले राजनीतिक दल और भी आक्रामक दिख रहे हैं. एक-दूसरे को चोर, बेईमान, अपराधी आदि साबित करने में लगे हैं.
लेकिन, इन सबका निर्णय हमारे यानी वोटरों के हाथों में है. पांच साल पर मिलने वाले इन मौकों पर हमें यह जानना होगा कि हम जिसे वोट डालने जा रहे हैं वह कोई भ्रष्ट या अपराधी तो नहीं, क्योंकि 2017 में हुए एक अध्ययन में 36% प्रतिनिधियों पर 3100 आपराधिक मामले दर्ज पाये गये हैं. यूपी 250, तमिलनाडु 200, बिहार 178 प्रतिनिधियों के साथ इस मामले में शीर्ष पर हैं. इनमें देश की बड़ी राष्ट्रीय पार्टियों के साथ क्षेत्रीय दल और निर्दलीय प्रतिनिधि शामिल हैं. संविधान के नियम व प्रावधान इनको अयोग्य घोषित करने में असफल रहे हैं,
आदित्य मिश्रा, मोतिहारी (पूर्वी चंपारण)