पांच साल का बीए और तीन का एमए

।। पुष्यमित्र ।। प्रभात खबर, पटना पिछले दिनों दिल्ली विश्वविद्यालय और यूजीसी के बीच इस बात को लेकर जम कर तकरार हो रही थी कि ग्रेजुएशन का कोर्स चार साल का हो या पांच साल का. जब यह खबर मीडिया में सबसे अधिक सुर्खियां बटोर रही थी, उन्हीं दिनों हमारे एक बचपन के साथी ने […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | July 4, 2014 6:17 AM

।। पुष्यमित्र ।।

प्रभात खबर, पटना

पिछले दिनों दिल्ली विश्वविद्यालय और यूजीसी के बीच इस बात को लेकर जम कर तकरार हो रही थी कि ग्रेजुएशन का कोर्स चार साल का हो या पांच साल का. जब यह खबर मीडिया में सबसे अधिक सुर्खियां बटोर रही थी, उन्हीं दिनों हमारे एक बचपन के साथी ने फोन लगा कर पूछा कि भाई यह बताओ दिल्ली वाले चार साल के कोर्स के लिए काहे झगड़ रहे हैं और कोर्स चार साल चले या पांच साल यह क्या यूजीसी तय करती है?

इससे पहले कि मैं उसे इस मसले के तकनीकी पहलुओं की जानकारी देता वह खुद ही बोल पड़ा- इसीलिए हर चीज में बिहार टॉप पर है, तुमको याद है जब हमलोग बीए-एमए हो रहे थे, तब कितने साल का बीए होता था.. कभी तीन साल का बीए होता था. पूरे बिहार में कहीं तीन साल का बीए नहीं होता था. कहीं पांच साल का तो कहीं छह साल का, जहां स्पीड ठीक रहती थी तो चार साल में हो जाता था. मगर क्या मजाल की यूजीसी किसी यूनिवर्सिटी पर उंगली भी उठा दे. हमारा मन है हम बीए पांच साल में करायेंगे, आप क्या कर लेंगे.

मित्र की बात सुन कर मुङो वह जमाना याद आ गया जब बिहार और झारखंड का कोई विवि समय पर ग्रेजुएशन नहीं करा पाता था. हमारे एक परिचित ने 1989 में बीए में एडमिशन लिया था और उन्हें डिग्री 1994 में जाकर मिली. उनके अनुभव ने मुङो यह फैसला लेने को प्रेरित किया कि अगर ग्रेजुएशन समय से करना है तो किसी बाहर के विवि से करो. हालांकि एक बार तो और भी कमाल हुआ. सरकार की ओर से फरमान जारी हुआ कि सभी विश्वविद्यालय अपना सेशन ठीक कर लें, इस कोशिश में ऐसा हुआ कि दो-दो, चार-चार माह के अंतराल पर परीक्षाएं आयोजित करा ली गयीं और उस साल ग्रेजुएशन में जो छात्र एडमिट थे उनका महज एक साल में बेड़ा पार हो गया. एक साल के अंदर ही वे इंटरमीडियेट से ग्रेजुएट हो गये. पिछले दिनों बिहार के विश्वविद्यालयों में ऐसे कई प्रयोग हुए. इस वजह से लोगों ने बिहार को छोड़ कर ग्रेजुएशन तक के लिए बाहर के विश्वविद्यालयों तक का रुख करना शुरू कर दिया. यही वजह है कि आज दिल्ली विवि में पढ़ने वालों में बिहार के छात्रों की संख्या सबसे अधिक है.

मगर मित्र और कुछ जानकारियां दे रहा था. बताया कि अभी भी अपने यहां कुछ विवि में चार साल का ग्रेजुएशन चल रहा है, यूजीसी में हिम्मत है तो उनको मना करके देखे. उसने एक विवि के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि वहां पार्ट वन की परीक्षा हुए 13 माह बीत चुके हैं, मगर पार्ट टू की परीक्षा के बारे में कोई खोज खबर नहीं है. अगर आज फार्म भरा लिये जायें तो भी परीक्षा होने में तीन महीने तो लगेंगे ही. मित्र ने कहा बीए तो बीए कई विवि में एमए भी तीन साल का होता है अब जरा यूजीसी वाले उसे दो साल का करके दिखायें. मित्र का सवाल वाजिब है. अगर यूजीसी का इतना दखल है तो उसे इस तरफ भी ध्यान देना चाहिए.

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