आज बिना रजिस्ट्रेशन के सैकड़ों कोचिंग संस्थान खुल रहे हैं, जो बच्चों व उनके अभिभावक के लिए परेशानी का सबब बन रहे हैं. एक तरफ बच्चों पर पढ़ाई का बोझ बढ़ता जा रहा है, वहीं दूसरे तरफ अभिभावक का पॉकेट ढीला होता जा रहा है.
माता-पिता सोचते हैं कि वह किस संस्थान में बच्चों की आइआइटी, मेडिकल, आइएएस की तैयारी के लिए भेजें, क्योंकि हर कोचिंग संस्थान का ‘टैग लाइन’ रहता है ‘भारत का नंबर वन इंस्टीट्यूट’, पर पैमाना नहीं बताते हैं कि वे नंबर वन कैसे हैं?
वहीं, कोचिंग वाले ‘फी’ के रूप में मनमाफिक रुपया वसूलते हैं और रसीद भी नहीं देते हैं, पर न तो कोर्स को पूरा करते हैं और न ही साप्ताहिक टेस्ट लेते हैं. स्टूडेंट्स के लिए कोचिंग संस्थानों में न तो टॉयलेट मुहैया करायी जाती है और न ही शुद्ध जल की व्यवस्था होती है.
प्रो सदानंद पॉल, नवाबगंज, मनिहारी (कटिहार)