गुस्से में खुद का होता है नुकसान
जब भी कोई दुर्घटना होती है, तो प्राय: लोगों का गुस्सा बसों, ट्रकों या रेलगाड़ियों को जलाने या उन्हें नुकसान पहुंचाने के रूप में सामने आता है या फिर ट्रैफिक जाम करके लोगों की गतिविधियों को ठप कर दिया जाता है. कई बार तो यह सब पुलिस के सामने होता रहता है और पुलिस मूकदर्शक […]
जब भी कोई दुर्घटना होती है, तो प्राय: लोगों का गुस्सा बसों, ट्रकों या रेलगाड़ियों को जलाने या उन्हें नुकसान पहुंचाने के रूप में सामने आता है या फिर ट्रैफिक जाम करके लोगों की गतिविधियों को ठप कर दिया जाता है. कई बार तो यह सब पुलिस के सामने होता रहता है और पुलिस मूकदर्शक बनी देखती रहती है. माना कि यह जनता के आक्रोश के कारण होता है.
लेकिन, ऐसा भी क्या गुस्सा जो देश की करोड़ों रु पये की संपत्ति नष्ट कर दे! क्या इससे समस्या का हल निकल आता है? आक्रोश के अलावा इसके पीछे एक कारण जनता का पुलिस और प्रशासन पर अविश्वास भी है. लोग यह समझते हैं कि जब तक उग्र प्रदर्शन नहीं किया जायेगा, शासन के कानों पर जूं भी नहीं रेंगेगी, लेकिन सोचना चाहिए कि आखिर यह नुकसान किसका है? देश का, स्वयं हमारा है. इस समस्या के निदान के बारे में सबको गंभीरता से सोचना चाहिए.
राजू मिश्र, डाल्टेनगंज