झारखंड के मुख्यमंत्री ने रविवार को ‘प्रभात खबर’ द्वारा आयोजित प्रतिभा सम्मान समारोह में एलान किया कि राज्य में मैट्रिक और इंटर में टॉप करनेवालों को नकद धनराशि दी जायेगी. पहला स्थान पानेवालों को तीन-तीन लाख रुपये और दूसरा व तीसरा स्थान पानेवालों को क्रमश: दो-दो लाख और एक-एक लाख रुपये दिये जायेंगे. मुख्यमंत्री का यह एलान काबिले तारीफ है.
झारखंड में हर बार इम्तिहान के नतीजे आने के बाद ऐसी खबरें आती हैं कि सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करनेवाले छात्र भी अपनी कमजोर माली हालत की वजह से उच्च शिक्षा के लिए अच्छे संस्थानों में दाखिला नहीं ले पाते हैं. ऐसे छात्रों को इस सरकारी मदद से बड़ा सहारा मिलेगा. नकद इनाम का लाभ सिर्फ झारखंड एकेडमिक काउंसिल (जैक) के छात्रों को मिलेगा. एक तरह से यह उचित ही है. जो छात्र मजबूत पृष्ठभूमि से आते हैं, अमूमन वे सीबीएसइ और आइसीएसइ बोर्ड से संबद्ध स्कूलों में पढ़ते हैं. जैक से जुड़े स्कूलों व इंटर कॉलेजों में ज्यादातर गरीब व निम्न-मध्यम वर्गीय परिवारों के बच्चे ही पढ़ते हैं.
ऐसे में, सही मायनों में आर्थिक मदद की जरूरत भी जैक के छात्रों को ही है. यह एक कटु यथार्थ है कि गुणात्मक उच्च शिक्षा और पेशेवर शिक्षा बहुत महंगी हो गयी है. कई संस्थानों की सालाना फीस एक आम आदमी की सालाना कमाई या बचत से भी ज्यादा होती है. जैसे-जैसे शिक्षा का निजीकरण बढ़ रहा है और वह बाजार की ताकतों के कब्जे में जा रही है, वैसे-वैसे वह और ज्यादा महंगी तथा आम आदमी की पहुंच से दूर होती जा रही है. सरकार अच्छा प्रदर्शन करनेवालों की आर्थिक मदद करे, पर इस बात पर भी ध्यान दे कि शिक्षा सस्ती और गुणवत्तापूर्ण बने. आदर्श स्थिति तो यह होगी कि शिक्षा नि:शुल्क हो, ताकि अमीर-गरीब सबको समान अवसर मिल सके. राज्य स्तर पर अव्वल आनेवाले छात्रों के साथ जिला, प्रखंड और यहां तक कि अपने स्कूल के स्तर तक पर अच्छा प्रदर्शन करनेवालों के लिए भी सरकारी मदद व प्रोत्साहन का इंतजाम होना चाहिए. सरकार को एक व्यापक छात्रवृत्ति योजना लानी चाहिए, जिससे सभी प्रतिभाशाली बच्चों को पढ़ने और आगे बढ़ने का मौका मिले. झारखंड जैसे राज्य जो कारोबार के मामले में पीछे हैं, वहां शिक्षा ही तरक्की का रास्ता है.