विवादास्पद बयानों से दूषित होती जा रही राजनीति

आदर्श आचार संहिता के उल्लंघन के बढ़ते मामले, मतदाताओं को बांटे जाने वाले पैसे की बरामदगी का कोई ओर-छोर न दिखना और विरोधियों को लेकर दिये जाने वाले बेजा बयानों का सिलसिला बताता है कि हमारी चुनाव प्रक्रिया ही नहीं, राजनीति भी बुरी तरह दूषित हो चुकी है. इतने बड़े देश में जहां राजनीतिक दलों […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | April 22, 2019 7:09 AM
आदर्श आचार संहिता के उल्लंघन के बढ़ते मामले, मतदाताओं को बांटे जाने वाले पैसे की बरामदगी का कोई ओर-छोर न दिखना और विरोधियों को लेकर दिये जाने वाले बेजा बयानों का सिलसिला बताता है कि हमारी चुनाव प्रक्रिया ही नहीं, राजनीति भी बुरी तरह दूषित हो चुकी है.
इतने बड़े देश में जहां राजनीतिक दलों की भारी भीड़ है, वहां चुनाव प्रचार के दौरान आरोप-प्रत्यारोप का जोर पकड़ लेना स्वाभाविक है. लेकिन, इसका यह मतलब नहीं कि नेता गाली-गलौज करने अथवा मतदाताओं को धमकाने को अपना अधिकार समझने लगें.
यह स्थिति बताती है कि भारत दुनिया का बड़ा लोकतंत्र भले हो, लेकिन उसे बेहतर लोकतंत्र का लक्ष्य हासिल करने के लिए अभी एक लंबा सफर तय करना है. समय के साथ स्थितियां सुधरने की अपेक्षा तभी पूरी हो सकती है, जब राजनीतिक दल येन-केन-प्रकारेण चुनाव जीतने की अपनी प्रवृत्ति का परित्याग करते हुए दिखेंगे.
डॉ हेमंत कुमार, गोराडीह (भागलपुर)

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