क्रिकेट विश्व कप की खराब ओपनिंग
आशुतोष चतुर्वेदी प्रधान संपादक, प्रभात खबर ashutosh.chaturvedi @prabhatkhabar.in हम जानते हैं कि पूरा ही देश क्रिकेट का दीवाना है. ज्यों ही 30 मई से क्रिकेट विश्व कप शुरू होगा, फिर देखिए, कैसे पूरे देश पर इसका बुखार चढ़ता है. चुनावी बुखार उतरेगा और क्रिकेट का बुखार चढ़ जायेगा. देश को भारतीय टीम से बेहद उम्मीदें […]
आशुतोष चतुर्वेदी
प्रधान संपादक, प्रभात खबर
ashutosh.chaturvedi
@prabhatkhabar.in
हम जानते हैं कि पूरा ही देश क्रिकेट का दीवाना है. ज्यों ही 30 मई से क्रिकेट विश्व कप शुरू होगा, फिर देखिए, कैसे पूरे देश पर इसका बुखार चढ़ता है. चुनावी बुखार उतरेगा और क्रिकेट का बुखार चढ़ जायेगा.
देश को भारतीय टीम से बेहद उम्मीदें हैं, पर विश्व कप जैसे बड़े टूर्नामेंट में आपको अपने हर मैच में सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करना होगा, लेकिन यह कोई रहस्य नहीं है कि भारतीय टीम के पहले तीन खिलाड़ी आप सस्ते में आउट कर दीजिए, उसके बाद टीम को धराशायी होने में देर नहीं लगेगी.
चौथे नंबर के बल्लेबाज की खोज के लिए काफी दिनों से मशक्कत चल रही थी, लेकिन जब टीम की घोषणा हुई, तो समस्या जस-की-तस. जब मुकाबला बेहद कड़ा हो, तो खिलाड़ियों का चयन बहुत अहम हो जाता है, लेकिन भारतीय चयनकर्ता हमेशा से ही कुछ-न-कुछ लोचा करते आये हैं. चयनकर्ताओं की ऋषभ पंत और अंबाती रायडू की अनदेखी भारतीय टीम को भारी पड़ सकती है. चयनकर्ताओं की, इस फैसले के कारण, कड़ी आलोचना हो रही है.
हम जानते हैं कि लंबे समय से महेंद्र सिंह धौनी के उत्तराधिकारी की खोज चल रही है. उम्र का असर होता है और यह सच है कि वह अब पुराने धौनी नहीं रहे हैं, लेकिन मौजूदा खिलाड़ियों पर नजर डालें, तो अब भी किसी खिलाड़ी में धौनी जैसी खूबियां नहीं हैं. कुछ समय पहले धौनी के खिलाफ सोशल मीडिया में एक सुनियोजित अभियान चला था. यह बताने की कोशिश की गयी कि वह चुक गये हैं.
उनके मुकाबले अन्य खिलाड़ियों को खड़ा करने का प्रयास भी हुआ था. यह साबित करने की भी कोशिश हुई थी कि उन्हें विदा करने का वक्त आ गया है, पर हर बार धौनी ने अपनी बल्लेबाजी और विकेटकीपिंग दोनों से अपने आलोचकों को करारा जवाब दिया है. उन्होंने हर बार यह साबित किया है कि भारतीय टीम में अब भी उनका कोई विकल्प नहीं है. सब मानते हैं कि भविष्य में धौनी के आसपास यदि कोई खिलाड़ी जा सकता है, तो वह केवल ऋषभ पंत ही हैं, पर पंत को विश्व कप में 15 खिलाड़ियों में स्थान नहीं दिया गया है. उनके स्थान पर दिनेश कार्तिक को विकेटकीपर के रूप में भारतीय टीम में शामिल किया गया है.
दिनेश कार्तिक 33 साल के हैं और मुझे याद नहीं कि उन्होंने कभी अपनी ताबड़तोड़ बल्लेबाजी से किसी खेल का नतीजा पलटा दिया हो. दूसरी ओर अंबाती रायडू की भी दावेदारी बनती थी, लेकिन उनकी भी अनदेखी कर दी गयी है.
जब कड़ी आलोचना हुई, तो चयनकर्ताओं की ओर से बयान आया कि ऋषभ पंत, अंबाती रायडू और तेज गेंदबाज नवदीप सैनी को विश्व कप के लिए स्टैंडबाय रखा गया है. अगर प्लेइंग इलेवन के खिलाड़ी चोटिल होते हैं, तो इन खिलाड़ियों को खेलने का मौका मिल सकता है. विश्व कप टीम में अपना नाम न होने के बाद रायडू का एक ट्वीट काफी चर्चित हुआ था.
रायडू ने ट्वीट में लिखा था कि विश्व कप देखने के लिए अभी तत्काल 3डी चश्मे के लिए ऑर्डर किया है. दरअसल, चयन समिति के अध्यक्ष एमएसके प्रसाद ने रायडू पर विजय शंकर को प्राथमिकता देते हुए कहा था कि उनमें थ्री डाइमेंशनल क्वालिटी है.
मौजूदा दौर में सुनील गावस्कर जैसा कोई क्रिकेट विशेषज्ञ नहीं है. गावस्कर ने कहा कि वह युवा विकेटकीपर ऋषभ पंत के भारत की विश्व कप टीम से बाहर होने से हैरान हैं, क्योंकि वह बेहतरीन बल्लेबाजी फार्म में हैं और उसके विकेटकीपिंग कौशल में काफी सुधार हो रहा है.
गावस्कर ने कहा कि यह कदम हैरानी भरा है. वह सिर्फ आइपीएल में ही नहीं, बल्कि इससे पहले भी काफी बेहतरीन बल्लेबाजी कर रहा था. वह विकेटकीपिंग में भी काफी सुधार दिखा रहा था. वह शीर्ष छह में बाएं हाथ की बल्लेबाजी विकल्प मुहैया कराता, जो गेंदबाजों के खिलाफ काफी कारगर साबित होता.
गावस्कर का मानना है कि गेंदबाजों को बाएं हाथ के बल्लेबाजों के लिए अपनी लाइन व लेंथ में बदलाव करना पड़ता और कप्तान को मैदान में काफी इंतजाम करने होते. पंत ने इस मौजूदा आइपीएल में अभी तक कार्तिक से दोगुने से अधिक रन बनाये हैं. पूर्व भारतीय बल्लेबाज आकाश चोपड़ा ने भी इस फैसले पर आश्चर्य प्रकट किया. उन्होंने कहा कि पंत को केंद्रीय अनुबंध में शीर्ष वर्ग में शामिल किये जाने से उन्हें लगा था कि यह युवा खिलाड़ी भारत की विश्व कप टीम में जगह बना लेगा.
भारत ने चौथे स्थान के विकल्प के लिए विजय शंकर को चुना है, लेकिन पता नहीं कि यह कारगर साबित होगा या नहीं? दिनेश कार्तिक तभी खेलेंगे, जब धोनी उपलब्ध नहीं होंगे. रायडू के बाहर रहने पर गौतम गंभीर ने भी सवाल खड़ा किया है. आश्चर्य है कि कप्तान विराट कोहली ने भी कुछ दिन पहले अंबाती रायडू को विश्व कप में नंबर चार पर बल्लेबाजी के लिए उपयुक्त बताया था.
भारतीय क्रिकेट टीम के मुख्य कोच रवि शास्त्री ने कहा है कि वह टीम चयन मामलों में पड़ना नहीं चाहते हैं. वह 16 खिलाड़ियों को शामिल करना चाहते थे, लेकिन आदेश 15 खिलाड़ियों का ही था. जो खिलाड़ी 15 सदस्यीय टीम में शामिल नहीं हो पाये हैं, उन्हें निराश नहीं होना चाहिए क्योंकि उन्हें और मौके मिलेंगे. जाहिर है कि शास्त्री का इशारा पंत की ओर था.
विदेशों में भारतीय टीम की हार में चयनकर्ताओं की गलतियों का बड़ा योगदान रहा. दक्षिण अफ्रीका दौरे से शुरू हुई ये गलतियां अब तक जारी हैं.
दक्षिण अफ्रीका, इंग्लैंड और ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ टेस्ट सीरीज में खिलाड़ियों के चयन में हर बार लोचा हुआ. क्रिकेट विश्व कप में भारत का पहला मैच दक्षिण अफ्रीका से है. अगर आपको दक्षिण अफ्रीका के दौरे पर गयी भारतीय टीम के प्रदर्शन की याद हो, तो वहां बल्लेबाजी में टीम की हालत खस्ता थी. भारत ने तीन टेस्ट मैचों की सीरीज में अंतिम टेस्ट जीत कर किसी तरह इज्जत बचायी. विकेटकीपिंग में तो टीम की कमजोरी सबके सामने उभर कर आ गयी थी. पहले टेस्ट में साहा थे, फिर पार्थिव पटेल आये और तीसरे टेस्ट में सब्स्टीट्यूट के रूप में दिनेश कार्तिक विकेटकीपिंग करते दिखायी दिये थे. तीनों बेअसर साबित हुए थे.
हम कोहली को एक बल्लेबाज और एक कप्तान के रूप में देख चुके हैं. यह सच्चाई है कि इस वक्त विराट कोहली के स्तर का अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में कोई बल्लेबाज नहीं है. वह विपरीत परिस्थितियों में भी शतक लगाने से नहीं चूकते हैं, लेकिन यह भी सच है कि धौनी के बिना विराट कोहली अधूरे हैं.
फील्ड की जमावट से लेकर गेंदबाज के चयन तक में उनकी अहम भूमिका होती है, पर माना जा रहा है कि विश्व कप के बाद धौनी संन्यास ले सकते हैं. हमें उनके उत्तराधिकारी को स्थापित करना था और विश्व कप इसका मौका था, लेकिन पंत की अनदेखी कर चयनकर्ताओं ने भारी भूल कर दी है.