आसमान से गिरे, खजूर पर अटके

मोदी सरकार ने पिछले दिनों जिस तरह रेल भाड़ा, पेट्रोल, डीजल की कीमतें बढ़ायी है, उससे तो आसमान से गिरे और खजूर पर अटके वाली कहावत चरितार्थ हो रही है. आम आदमी वैसे ही महंगाई से त्रस्त है और उस पर रेल भाड़े में बढ़ोतरी से आम जनता, खासकर डेली पैसेंजर्स की मुश्किलें बढ़ गयी […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | July 10, 2014 4:16 AM

मोदी सरकार ने पिछले दिनों जिस तरह रेल भाड़ा, पेट्रोल, डीजल की कीमतें बढ़ायी है, उससे तो आसमान से गिरे और खजूर पर अटके वाली कहावत चरितार्थ हो रही है. आम आदमी वैसे ही महंगाई से त्रस्त है और उस पर रेल भाड़े में बढ़ोतरी से आम जनता, खासकर डेली पैसेंजर्स की मुश्किलें बढ़ गयी हैं. अब ऐसे में गरीब क्या ओढ़े और क्या पहने! अब जनता एनडीए को वोट देकर खुद को ठगा महसूस कर रही है और कहना शुरू कर दिया है कि इससे तो बढ़िया कांग्रेस ही थी.

आखिर कब आयेंगे अच्छे दिन? जब दिहाड़ी मजदूर के बच्‍चे भूख से बिलबिलाने लगेंगे? आज पढ़ाई इतनी महंगी हो गयी है कि दिहाड़ी मजदूर के बच्‍चों के पहुंच से बाहर है. उस पर भ्रष्टाचार, पैरवी तथा पैसा का जोर. क्या इन सबसे आम जनता को मुक्ति मिल पायेगी या मुंगेरी लाल के हसीन सपने ही हम देखते रह जायेंगे?

गौरी वैद्य, रांची

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