शंकराचार्य बनाम साईं की राजनीति

शंकराचार्य श्री स्वरूपनंद सरस्वती ने साईं पूजा का विरोध करके एक नये विवाद को जन्म दे दिया है, जो दूर-दूर तक सुलझता नजर नहीं आ रहा है. वैसे इस मामले के राजनीतिक पहलू पर भी गौर किया जाना चाहिए. सबसे बड़ा सवाल इस शंकराचार्य के साईं विरोध की टाइमिंग को लेकर उठता है कि शंकराचार्य […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | July 10, 2014 4:23 AM

शंकराचार्य श्री स्वरूपनंद सरस्वती ने साईं पूजा का विरोध करके एक नये विवाद को जन्म दे दिया है, जो दूर-दूर तक सुलझता नजर नहीं आ रहा है. वैसे इस मामले के राजनीतिक पहलू पर भी गौर किया जाना चाहिए. सबसे बड़ा सवाल इस शंकराचार्य के साईं विरोध की टाइमिंग को लेकर उठता है कि शंकराचार्य ने इस मामले को नयी सरकार के बनने के तुरंत बाद ही क्यों उठाया?

क्या पहले साईं की पूजा नहीं होती थी? क्या साईं को पहली बार मंदिर में स्थापित किया जा रहा है? इससे पहले शंकराचार्य कहां थे? कहीं कोई राजनीतिक दल शंकराचार्य को मोहरा बना कर अपनी खोई राजनीतिक जमीन तो नहीं तालश रहा है? ये सवाल इसलिए उठ रहे हैं क्योंकि इन्हीं शंकराचार्य ने कभी प्रधानमंत्री के रूप में मोदी का विरोध किया था. शंकराचार्य बनाम साई के राजनीतिक पहलू पर भी चर्चा होनी चाहिए.

धनंजय कु पांडेय, ई-मेल से

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