पश्चिम बंगाल से तृणमूल कांग्रेस के सांसद तापस पाल ने जिस भाषा का प्रयोग किया है, उससे यह तो कतई नहीं लगता कि वे सभ्य परिवार से संबंध रखते हैं. विरोधियों का घर जलाना, उनकी महिला सदस्यों से सामूहिक बलात्कार की धमकी देना, यह सब तापस पाल के बौद्धिक दिवालियेपन को तो दर्शाता ही है, साथ ही यह एक शुद्ध रूपेण आपराधिक आचरण है.
इस आचरण से तो कानून निबटेगा ही, लेकिन पार्टी सुप्रीमो ममता बनर्जी को उन्हें पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा देना चाहिए था, लेकिन वह भी खतरनाक राजनीति कर रही हैं. सिर्फ माफी मांग लेने से ही क्या गुनाह खत्म हो जाता है? जब से बंगाल में ममता बनर्जी सत्ता में आयी हैं, तब से इनका आचरण एवं व्यवहार हिटलरशाही से मेल खाता प्रतीत होता है. राजनीति में ऐसे नेताओं की सक्रियता देश के लिए खतरनाक सिद्ध होगी.
जंग बहादुर सिंह, गोलपहाड़ी, जमशेदपुर