देशहित से ऊपर अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता नहीं

आजकल अस्वस्थ विचार अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का दौर चल गया है. येन-केन-प्रकारेण विचार अभिव्यक्त करना फैशन बनता जा रहा है. हमारे संविधान में अनुच्छेद 19(क) में हम भारतीयों के लिए विचार अभिव्यक्त करने की स्वतंत्रता का जिक्र किया गया है, परंतु यह भारत की अखंडता, गोपनीयता, एकता की अक्षुण्णता को नजरअंदाज कर नहीं. इसलिए किसी […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | April 26, 2019 7:02 AM
आजकल अस्वस्थ विचार अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का दौर चल गया है. येन-केन-प्रकारेण विचार अभिव्यक्त करना फैशन बनता जा रहा है.
हमारे संविधान में अनुच्छेद 19(क) में हम भारतीयों के लिए विचार अभिव्यक्त करने की स्वतंत्रता का जिक्र किया गया है, परंतु यह भारत की अखंडता, गोपनीयता, एकता की अक्षुण्णता को नजरअंदाज कर नहीं.
इसलिए किसी भी भारतीयों को देशहित से ऊपर स्वयं के अनाप-शनाप विचार प्रकटीकरण की छूट नहीं मिलनी चाहिए, चाहे आम लोग हों, पत्रकार हों, सत्ताधिकारी हों या जज ही क्यों न हों. अगर देश ही अपना न रहे, तो हम शरीर से ही नहीं, विचार को भी आदान-प्रदान नहीं कर सकेंगे.
स्वर्णलता ‘विश्वफूल’, अमदाबाद (कटिहार)

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