स्वास्थ्य मामलों में पिछड़ता जा रहा भारत

भारत दुनिया का सबसे तीव्र आर्थिक विकास दर वाला देश बन गया है. लेकिन, स्वास्थ्य क्षेत्र में 2019 तक जीडीपी का दो फीसदी से भी कम खर्च किया गया है. जबकि, आवश्यकता के अनुसार पांच फीसदी तक खर्च होनी चाहिए थी. वही, देश में 2018-19 में मेडिकल कॉलेजों की संख्या 502 है, जबकि देश की […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | April 26, 2019 7:02 AM
भारत दुनिया का सबसे तीव्र आर्थिक विकास दर वाला देश बन गया है. लेकिन, स्वास्थ्य क्षेत्र में 2019 तक जीडीपी का दो फीसदी से भी कम खर्च किया गया है.
जबकि, आवश्यकता के अनुसार पांच फीसदी तक खर्च होनी चाहिए थी. वही, देश में 2018-19 में मेडिकल कॉलेजों की संख्या 502 है, जबकि देश की आबादी के हिसाब से कॉलेजों की संख्या 1200 होनी चाहिए, जो अपने लक्ष्य से काफी दूर नजर आ रहा है.
ऐसी स्थिति में हम स्वास्थ्य मामलों में कैसे आगे आयेंगे? जबकि, हमारा पड़ोसी देश बांग्लादेश, भूटान, श्रीलंका स्वास्थ्य क्षेत्र में हमसे काफी आगे निकल चुका है. वहीं, बिहार में तो प्रति 2839 लोगों पर महज एक डॉक्टर हैं, जो काफी भयावह स्थिति को दरसाता है. यही कारण है कि हमारे देश में एक तिहाई फर्जी डॉक्टर अपना प्रैक्टिस चला रहे हैं. जबकि, विश्व स्वास्थ्य संगठन के निर्देश के बाद भी डॉक्टरों व नर्सिंग स्टाफ की बहाली नहीं हो पा रही है.
नितेश कुमार सिन्हा, इ-मेल से

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