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सच्चे वादों की बारिश

संतोष उत्सुक वरिष्ठ व्यंग्यकार santoshutsuk@gmail.com आम लोग कुछ दिनों के लिए फिर बतिया रहे हैं कि कस्बे में शहर जैसा विकास करने के सच्चे वादों की बारिश में कई चुनाव बह गये, पंचायत बनी, लेकिन दशकों से गलियों की नालियों का कीचड़ मुद्दा नहीं बना. कस्बे के चौराहों पर मूर्तियां सज रही हैं, लेकिन बड़ा […]

संतोष उत्सुक
वरिष्ठ व्यंग्यकार
santoshutsuk@gmail.com
आम लोग कुछ दिनों के लिए फिर बतिया रहे हैं कि कस्बे में शहर जैसा विकास करने के सच्चे वादों की बारिश में कई चुनाव बह गये, पंचायत बनी, लेकिन दशकों से गलियों की नालियों का कीचड़ मुद्दा नहीं बना.
कस्बे के चौराहों पर मूर्तियां सज रही हैं, लेकिन बड़ा बिल भुगतान कर लगे छोटे आकार के नीले और हरे डिब्बे कूड़े का इंतजार कर रहे हैं. स्थानीय नेताजी के निकट संबंधी विकासजी ने आकर सड़क में डिवाइडर बनवा दिया है. यह जनता की सुविधा के लिए था, लेकिन जनता और पुलिस परेशान होने लगी है.
उखड़ी हुई सड़क पर ईमानदारी की बजरी और तारकोल डाला गया है. किनारे लगे कुछ पेड़ विकासजी की सेना ने उखाड़े, कुछ बिजली की तार में लटककर मर गये. बजटजी को आदर सहित फिर लाया गया, तो उन्होंने मेहनत कर सड़क को फिर खुदवाया, लेकिन काम ज्यादा होने के कारण इस बार बिजली के पोल लगने रह गये. जैसे-तैसे फिर धन प्रबंधन हुआ, पोल रातों-रात लगा दिये गये, क्यूंकि जनता के लिए रोशनी का सवाल था. जल्दी के अंधेरे में कुछ पोल टेढ़े लग गये, जिन पर कई तारें यहां-वहां लटकी हुई हैं.
लोकप्रिय नेताजी ने कहा काम करने का तरीका सुधर रहा है और हम विकास की राजनीति करते हैं, वोटों की नहीं, स्वच्छता जैसे पवित्र विचार पर बहस नहीं करते.
गंगा को हमने मां माना है उन पर हम कैसे गंदी राजनीति कर सकते हैं. इंसान तो छोड़ो, हम तो जानवरों को बचाने के लिए कितने ईमानदार प्रयास करते हैं. इन प्रयासों का न्यूज विद फोटो छपवाते हैं, ताकि दूसरों को प्रेरणा मिले. जानवरों की जान बचाने के लिए हमने सख्त से सख्त कानून बना दिये हैं, जिन्हें ईमानदारी से लागू किया गया है.
हमने देश को हमेशा महापुरुष नायकों के बताये रास्ते पर चलने के लिए प्रोत्साहित किया और हम उनके बताये गये रास्तों पर राजनीति नहीं करते. हम देश के बुद्धिजीवियों द्वारा जगायी गयी सामाजिक चेतना की कद्र करते हैं. हारे हुए विरोधी नेता अपने आप को धरतीपुत्र कहते हैं, जिन्होंने हमेशा बेरोजगारी, पेयजल, सड़क, शिक्षा, स्वास्थ्य संस्थानों समेत मूलभूत इंसानी सुविधाओं पर राजनीति की.
इन्होंने सही ढंग से कभी राजनीति नहीं की, दरअसल इन्हें राजनीति करनी ही नहीं आती. राजनीति तो हमें आती है, तभी तो जनता ने हमें जिताया था और हमने बढ़िया सरकार बनायी भी और चलायी भी. हमने जाति पर राजनीति कभी नहीं की. हम सिर्फ उद्घाटन पट्ट लगवाने की राजनीति नहीं करते, बल्कि जहां इन्होंने अपने नाम के महंगे पट्ट लगवाये, वह काम भी हमने पूरे करवाये.
यही तो है हमारी काम करवाने की राजनीति. इन्हें तो यह भी समझ नहीं आता कि हमने अपने प्रयासों से धर्म को नयी ऊंचाइयों पर पहुंचा दिया है. हम ध्रुवीकरण की राजनीति तो कतई नहीं करते. हमें पता है ऐसा करना देश के लिए खतरनाक होता है. हमें ऐसा करने की जरूरत भी क्या है. हमारे विराट विचार, चमकते सच, राष्ट्रप्रेम, मानवप्रेम व धर्म निरपेक्षता से ओतप्रेत हैं. यही तो हमारी विकासपरक सफल राजनीति है.

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