नौकरशाही पर लगाम जरूरी

केंद्र सरकार के मंत्रालयों में कार्यरत नौकरशाहों को अनुशासित करने की कवायद के क्रम में वित्त मंत्रालय ने अपने अधिकारियों को निर्देश जारी किया है कि वे तबादलों और नियुक्तियों से संबंधित सिफारिशें लेकर न आयें. इस निर्देश में स्पष्ट कहा गया है कि जो अधिकारी अति विशिष्ट व्यक्तियों या राजनेताओं की सिफारिशें लेकर आयेंगे, […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | July 12, 2014 4:56 AM

केंद्र सरकार के मंत्रालयों में कार्यरत नौकरशाहों को अनुशासित करने की कवायद के क्रम में वित्त मंत्रालय ने अपने अधिकारियों को निर्देश जारी किया है कि वे तबादलों और नियुक्तियों से संबंधित सिफारिशें लेकर न आयें. इस निर्देश में स्पष्ट कहा गया है कि जो अधिकारी अति विशिष्ट व्यक्तियों या राजनेताओं की सिफारिशें लेकर आयेंगे, उनके विरुद्ध कड़ी अनुशासनात्मक कार्रवाई की जायेगी.

मंत्रालय के परिपत्र में रेखांकित किया गया है कि केंद्रीय लोक सेवा आचार 1964 के नियम संख्या 20 के अंतर्गत किसी सरकारी कर्मचारी द्वारा अपने उच्चाधिकारियों पर किसी तरह का राजनीतिक दबाव डालने की मनाही है. नरेंद्र मोदी ने प्रधानमंत्री का कार्यभार संभालने के साथ ही मंत्रालयों की कार्य-संस्कृति में बदलाव के संकेत दे दिये थे. सरकार गठन के कुछ दिन के भीतर ही लगभग 300 नौकरशाहों की सूची तैयार कर उन्हें अपनी संपत्ति का ब्यौरा देने का आदेश दिया गया था. इसके अतिरिक्त समय पर कार्यालय आने और कार्यालयों को साफ-सुथरा रखने के लिए भी कहा गया था. कुछ दिन पहले अपने मंत्रालय के कार्यालयों के औचक निरीक्षण में सूचना एवं प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने देर से आये अधिकारियों व कर्मचारियों को आगे से ऐसा न करने की चेतावनी दी थी.

नौकरशाही सरकार की रीढ़ है और उसके कुशल प्रदर्शन पर नीतियों व कार्यक्रमों की सफलता निर्भर करती है. देश के सामने ऐसे अनगिनत उदाहरण हैं, जो यह इंगित करते हैं कि नौकरशाही का एक हिस्सा भ्रष्ट आचरण में लिप्त है और वह अपने कर्तव्यों को निर्वाह में लापरवाह है. अक्सर यह देखा गया है कि ऐसे अधिकारियों को राजनीतिक प्रश्रय और संरक्षण मिलता रहा है.

ऐसे भ्रष्ट व अकर्मण्य अधिकारियों की वजह से ईमानदार व मेहनती अधिकारियों व अधीनस्थ कर्मचारियों का प्रदर्शन भी प्रभावित होता है. कामकाज में देरी, उत्तरदायित्व-बोध का अभाव, पैरवी जैसे अवगुणों से सरकारी कार्यालय बुरी तरह ग्रस्त हैं. अधिकारियों के आचार-व्यवहार पर नियंत्रण बहुत जरूरी है. उम्मीद है कि नौकरशाही में अनुशासन की प्रधानमंत्री की कोशिशों को अधिकारी सकारात्मक मनोवृत्ति से स्वीकार करेंगे और मंत्रालयों में बेहतर कामकाज की संस्कृति सुदृढ़ होगी.

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