उम्र की बंदिशें सब के लिए एक समान हो

कहते हैं राजा दशरथ ने कानों के इर्द-गिर्द सफेद होते बाल देख संन्यास लेने का मन बना लिया था. जमाने से जीवन की जिम्मेदारियां उम्र के कई हिस्सों में बंटी हुई हैं. बदलते वक्त के साथ लोगों का नजरिया बदला, नतीजा रिटायरमेंट की उम्र कहीं 60-65 साल तय हुई, तो कहीं खुली छूट है. हर […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | May 10, 2019 5:52 AM

कहते हैं राजा दशरथ ने कानों के इर्द-गिर्द सफेद होते बाल देख संन्यास लेने का मन बना लिया था. जमाने से जीवन की जिम्मेदारियां उम्र के कई हिस्सों में बंटी हुई हैं. बदलते वक्त के साथ लोगों का नजरिया बदला, नतीजा रिटायरमेंट की उम्र कहीं 60-65 साल तय हुई, तो कहीं खुली छूट है. हर पेशे में बढती उम्र और घटती क्षमता मायने रखती है. जबकि, सियासत में काबिलियत का पैमाना है.

जब उम्र सब पर असर डालती है, तो सियासी लोक सेवक अछूते तो नहीं. मुल्क में सबके लिए बराबरी का दर्जा एक जैसा है, तो उम्र का कानूनी दायरा क्यों बदल जाता है? उम्र पर सख्त कानूनी बंदिश लगे, जो सरकारी ओहदों पर मंत्री से संतरी तक एक जैसी हो.

एमके मिश्रा, मां आनंदमयीनगर, रातू (रांची)

Next Article

Exit mobile version