विकसित देश की श्रेणी में जाना भारत के हित में नहीं
भारत में अभी-अभी विश्व व्यापार संगठन का दो दिवसीय, मंत्री स्तर की बैठक संपन्न हुई. इसमें 22 देशों के मंत्री दिल्ली में मिले, लेकिन ठोस कुछ निकला नहीं. यह बैठक ऐसे समय हुई, जब बहुपक्षीय नियम-आधारित व्यापार प्रणाली गंभीर चुनौतियों का सामना कर रही है. दोहा दौर की बैठक 19 वर्षों से चल रही है. […]
भारत में अभी-अभी विश्व व्यापार संगठन का दो दिवसीय, मंत्री स्तर की बैठक संपन्न हुई. इसमें 22 देशों के मंत्री दिल्ली में मिले, लेकिन ठोस कुछ निकला नहीं. यह बैठक ऐसे समय हुई, जब बहुपक्षीय नियम-आधारित व्यापार प्रणाली गंभीर चुनौतियों का सामना कर रही है. दोहा दौर की बैठक 19 वर्षों से चल रही है. नतीजा कुछ नहीं निकला.
विकसित देश सब नियम कानून अपने फायदे के लिए विश्व पर थोप रहे हैं. अब विश्व व्यापार में 0.5 प्रतिशत की हिस्सेदारी वाले देशों को विकसित देश की श्रेणी में रखे जाने की कवायद जोरों से चल रही है.
मतलब भारत, चीन, दक्षिण अफ्रीका, ब्राजील आदि विकसित देशों की सूची में शामिल हो जायेंगे. इससे विकासशील देशों की सारी सहूलियतें समाप्त तो होंगी ही, साथ में हमें राष्ट्रसंघ आदि को अंशदान में चार गुना से अधिक का योगदान करना पड़ेगा. इसलिए जैसे गैट समाप्त करके डब्लूटीओ का गठन हुआ था, अब इसकी भी समाप्ति का समय आ गया है.
जंग बहादुर सिंह, जमशेदपुर