एक कृषि विवि वह भी उपेक्षित

भविष्य में हमारे सामने जो सबसे बड़ी चुनौतियां होंगी, उनमें से एक भोजन की उपलब्धता है. तेजी से बढ़ती आबादी के बीच सबको भरपेट और पौष्टिक भोजन मिल पाये, इसके लिए निरंतर वैज्ञानिक अनुसंधान की जरूरत है. खेत तो बढ़ नहीं सकते, इसलिए खेती में उपज बढ़ाना ही इकलौता उपाय है. ऐसे में कृषि विश्वविद्यालयों […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | July 15, 2014 3:57 AM

भविष्य में हमारे सामने जो सबसे बड़ी चुनौतियां होंगी, उनमें से एक भोजन की उपलब्धता है. तेजी से बढ़ती आबादी के बीच सबको भरपेट और पौष्टिक भोजन मिल पाये, इसके लिए निरंतर वैज्ञानिक अनुसंधान की जरूरत है. खेत तो बढ़ नहीं सकते, इसलिए खेती में उपज बढ़ाना ही इकलौता उपाय है. ऐसे में कृषि विश्वविद्यालयों की भूमिका बहुत अहम हो जाती है.

देश के अलग-अलग राज्यों में मौजूद कृषि विश्वविद्यालयों की जिम्मेदारी है कि अपने क्षेत्र के किसानों की जरूरतों के मुताबिक नयी-नयी खोज करें और वहां की कृषि को उन्नत बनायें. झारखंड में यह जिम्मेदारी यहां के एकमात्र कृषि विश्वविद्यालय ‘बिरसा कृषि विश्वविद्यालय’ (बीएयू) पर है. मगर, सवाल यह है कि आज बीएयू को लेकर जिस तरह की लापरवाही बरती जा रही है, ऐसे में क्या वह अपनी तय भूमिका पर खरा उतर पायेगा? बीएयू में कुलपति का पद प्रभार पर चल रहा है.

दक्षिणी छोटानागपुर के आयुक्त अगली व्यवस्था होने तक यह जिम्मेदारी संभाल रहे हैं. इससे पहले कुलपति डॉ एमपी पांडेय थे, लेकिन उन पर अनियमितता के कई आरोप लगे जिसकी वजह से राज्यपाल ने उनके सभी अधिकार छीन लिये थे. तरह-तरह की अनियमितताओं ने भी बीएयू की छवि को धक्का पहुंचाया है और उसके कामकाज को शिथिल किया है. कुलपति के अलावा, चारों संकायों के डीन, दो निदेशकों और नियंत्रक का पद भी प्रभार पर चल रहा है. बीएयू के कर्मचारियों की तनख्वाह और पेंशन तीन महीने से बंद है, क्योंकि धनराशि का आवंटन नहीं मिला है. इन हालात में कोई विश्वविद्यालय क्या और कैसे काम कर पायेगा, इसका अंदाजा लगाना मुश्किल नहीं है.

झारखंड में कृषि के क्षेत्र में बहुत काम की जरूरत है. राज्य आज भी अन्न और अन्य भोजन सामग्री के लिए आत्मनिर्भर नहीं बन पाया है. इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए बीएयू को दुरुस्त बनाना जरूरी है. झारखंड में फल-फूल और सब्जियों के उत्पादन के मामले में अपार संभावना है. इस दिशा में काफी प्रगति हुई है, पर अब भी बहुत कुछ हासिल करना बाकी है. सरकार बीएयू को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर के कृषि विश्वविद्यालयों के स्तर पर विकसित करे, जिससे राज्य कृषि में अपना मुकाम पा सके.

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