नहीं मिलेगा विपक्ष का दर्जा
संसद में विपक्ष लोकतंत्र का एक आवश्यक और अनिवार्य घटक है. मजबूत विपक्ष सत्तापक्ष को निरंकुश होने से रोकता है. अगले कुछ दिनों में 17वें संसद का गठन होने वाला है. चुनाव परिणाम भी आ गये. 133 साल पुरानी पार्टी कांग्रेस को एक बार फिर जनता ने नकार दिया है. पिछली दफा इनकी संख्या 44 […]
संसद में विपक्ष लोकतंत्र का एक आवश्यक और अनिवार्य घटक है. मजबूत विपक्ष सत्तापक्ष को निरंकुश होने से रोकता है. अगले कुछ दिनों में 17वें संसद का गठन होने वाला है. चुनाव परिणाम भी आ गये. 133 साल पुरानी पार्टी कांग्रेस को एक बार फिर जनता ने नकार दिया है.
पिछली दफा इनकी संख्या 44 थी. इस बार उसे सिर्फ 8 सीटों का फायदा हुआ है. इसका मतलब है कि इस बार भी उसे आधिकारिक विपक्ष का दर्जा नहीं मिलने जा रहा है. आजादी के बाद से इसमें सत्ता पाने की ललक बढ़ती गयी और धीरे-धीरे पार्टी में टूट होने लगी.
इसी से टूट कर कई क्षेत्रीय दल उभरे. जैसे महाराष्ट्र में एनसीपी, बंगाल में तृणमूल, आंध्र में वाइएसआर कांग्रेस इत्यादि. लगभग सभी दलों में कांग्रेस के कई लोग गये हैं. आरएसएस के संस्थापक केशव बलिराम हेगडेवार भी कांग्रेसी ही थे. इतनी पुरानी पार्टी का ऐसा हश्र देख कर दुख होता है. समय रहते इस दल में सुधार नहीं हुए, तो कांग्रेस मुक्त भारत का नारा सच साबित हो सकता है.
जंग बहादुर सिंह, गोलपहाड़ी, जमशेदपुर