20.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

बाग में बहार ऐसे आती है

संतोष उत्सुकवरिष्ठ व्यंग्यकारsantoshutsuk@gmail.com शहर के सवा सौ साल पुराने बाग में बच्चे, जवान और बुजुर्ग सुबह शाम सैर करने आते हैं. गर्मी का मौसम परेशान करता है, तो सैर करनेवाले बढ़ते जाते हैं. नगरपालिका ने ‘स्वच्छ भारत स्वस्थ भारत’ अभियान के निमित स्वच्छता नियमों का पालन करवाने के लिए बाग में अनेक स्थानों पर रंगीन […]

संतोष उत्सुक
वरिष्ठ व्यंग्यकार
santoshutsuk@gmail.com

शहर के सवा सौ साल पुराने बाग में बच्चे, जवान और बुजुर्ग सुबह शाम सैर करने आते हैं. गर्मी का मौसम परेशान करता है, तो सैर करनेवाले बढ़ते जाते हैं. नगरपालिका ने ‘स्वच्छ भारत स्वस्थ भारत’ अभियान के निमित स्वच्छता नियमों का पालन करवाने के लिए बाग में अनेक स्थानों पर रंगीन व बड़े विज्ञापन लिखवाकर जिम्मेदारी बढ़िया तरीके से निभायी.
उस बाग में बहार लाने का जिम्मा हाल ही में हुए चुनावों में जीते हुए राजनीतिक और कुछ समझदार सरकारी लोग लेने लगे, तो वहां लोहा, ईंट, रेत व सीमेंट के ढेर लगने लगे. जख्मी हुई हरी घास ने बाग के मैदान में दौड़ लगाते नौजवान से कहा कि उसके ऊपर कई दिन बजरी पड़ी होने के कारण जान निकली जा रही है, कृपया कुछ करो. नौजवान ने सत्य बोला, मेरे पास जरा भी समय नहीं है, क्योंकि मुझे आज स्कूल में दौड़ प्रतियोगिता में सबसे तेज भागकर मेडल जीतना है.
वहीं दूसरी क्यारी में पूजा के लिए फूल तोड़ती महिला से सारे पौधे बोले- हमारे ऊपर रेत गिरा दिया गया है, सांस नहीं आ रही है, कुछ पौधे ईंटों की चोट से मर गये हैं, हमारी मदद कर दो बहन. इस पर महिला ने कहा कि मंदिर में जल्दी पूजा करने के बाद घर जाकर मैंने अपने इकलौते पुत्र के लिए आलू-प्याज के परांठे बनाने हैं, तुम्हारे लिए मेरे पास समय नहीं है.
कुछ बुजुर्ग, उजड़ती क्यारियों के पास बेंच पर बैठे हुए थे और काफी देर से बाग की दुर्दशा पर चर्चा कर रहे थे. लंबी डाली वाले कुछ उदास पौधों ने मौका देखकर अपना दुख संप्रेषित किया, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ.
बेंच पर बैठे बुजुर्गों में से एक बुजुर्ग ने कहा- सेवानिवृत्ति के बाद अब हमारे पास काफी समय है, तो हमें मिलकर इस ऐतिहासिक बाग को हरा-भरा रखने के लिए कुछ संजीदा प्रयास करने चाहिए. उन्होंने देखा कि बाग में भौतिक विकास के लंबे वृक्ष, बड़े आकार के फूल, आजीवन हरे रहनेवाले पौधे लगाये गये हैं. बाग के एक हिस्से में कितने ही सरकारी दफ्तर खोल दिये गये हैं, ताकि उनसे नगर पालिका को कुछ और किराया आ सके. यहां-वहां पत्थर और कूड़ा फैला हुआ है, जिसे कर्मचारी रोज ‘उठाते’ हैं.
बाग के बीच में बना तालाब चीखता रहता है कि लोग मेरे अंदर कचरा फेंकते हैं. पुराने बंद सुंदर फव्वारे के चारों तरफ लगी सीमेंट में जकड़ी लोहे की ग्रिल उसकी स्थायी रक्षा कर रही है. बाग के एक क्षेत्र में लोहे की मोटी ग्रिल के चार गेट लगा दिये हैं और नालियों के ऊपर लोहे के जाल बिछा दिये गये हैं, ताकि उनके नीचे से ठेकेदारी का पानी आराम से बह जाये.
बाग में रोशनी का अंधकारमय इंतजाम किया गया है. पुरानी दर्जनों लाइटें ठीक न करके ऊंची, महंगी दूर तक रोशनी देनेवाली लाइट एक ‘खास’ से सप्लाई करवा दी गयी है. बुजुर्ग समझ गये हैं कि जब हर मामले के मंच पर राजनीति का नंगा नाच चल रहा हो, तो चुप रहना बेहतर है. सभी बुजुर्ग थोड़ी देर शांत रहे, फिर अपने-अपने घर की ओर चल दिये.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें