अरुणाचल से सीखें
यदि हिंदी की उपयोगिता को देखते हुए उसके प्रचार-प्रसार की कोई पहल की जाती है, तो आखिरकार इसमें किसी को आपत्ति क्यों होनी चाहिए? आपत्ति करने वालों को इस सच्चाई से परिचित होना चाहिए कि दक्षिण और पूर्वोत्तर भारत के लोगों के लिए हिंदी आवश्यकता बन चुकी है. आज जब नौकरी, व्यापार आदि के कारण […]
यदि हिंदी की उपयोगिता को देखते हुए उसके प्रचार-प्रसार की कोई पहल की जाती है, तो आखिरकार इसमें किसी को आपत्ति क्यों होनी चाहिए? आपत्ति करने वालों को इस सच्चाई से परिचित होना चाहिए कि दक्षिण और पूर्वोत्तर भारत के लोगों के लिए हिंदी आवश्यकता बन चुकी है.
आज जब नौकरी, व्यापार आदि के कारण हर प्रांत के लोगों की देश के दूसरे हिस्सों में आवाजाही बढ़ती जा रही है, तब यह समय की मांग है कि संपर्क भाषा का पर्याय बन गयी हिंदी को सहर्ष अपनाया जाए. कई राज्यों ने ऐसा ही किया है और इनमें अरुणाचल सबसे बढ़िया उदाहरण है. इस उदाहरण की अनदेखी करना सच से मुंह मोड़ना ही है.
डाॅ हेमंत कुमार, गोराडीह, भागलपुर