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कोई हम बेरोजगारों की भी सुने

आपके लोकप्रिय समाचार पत्र के माध्यम से मैं झारखंड के उन तमाम बेरोजगार युवाओं की पीड़ा से अवगत कराना चाहता हूं, जिन्होंने राज्य के गठन के समय से ही सरकार से अपने बेहतर भविष्य और कैरियर को लेकर काफी अपेक्षाएं पाल रखी थीं. उन्हें उम्मीद थी कि अपनी मेधा व मेहनत के बल पर यहां […]

आपके लोकप्रिय समाचार पत्र के माध्यम से मैं झारखंड के उन तमाम बेरोजगार युवाओं की पीड़ा से अवगत कराना चाहता हूं, जिन्होंने राज्य के गठन के समय से ही सरकार से अपने बेहतर भविष्य और कैरियर को लेकर काफी अपेक्षाएं पाल रखी थीं. उन्हें उम्मीद थी कि अपनी मेधा व मेहनत के बल पर यहां एक अच्छी सरकारी नौकरी मिल सकेगी.

लेकिन विगत 14 वर्षो की यहां की सरकार की नीतियों और शीर्ष नियोजन की अनुशंसा करने वाली संवैधानिक संस्था झारखंड लोक सेवा आयोग में प्रथम व द्वितीय सिविल सेवा परीक्षा में व्याप्त भ्रष्टाचार ने यहां के युवाओं के सपनों और उम्मीदों पर पानी फेर डाला जिससे राज्य के सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी कर रहे हजारों युवाओं का कैरियर बुरी तरह तबाह हो गया और हम जैसे न जाने कितने बेरोजगार युवकों के नियोजन की सरकारी उम्रसीमा तक समाप्त हो गयी.

हमारे माता-पिता को तो हम जैसे होनहारों से काफी उम्मीदें थीं कि किसी अच्छी नौकरी में जाकर उनका और परिवार का नाम रौशन कर समाज और राष्ट्र की सेवा करेंगे. उन बेचारों ने तो इसी हसरत में ही अपने प्राण त्याग दिये और हम जैसे भुक्तभोगी युवाओं को पारिवारिक और सामाजिक उपहासों को ङोलना पड़ रहा है, जिसके लिए इस राज्य की अपरिपक्व नीतियां और अदूरदर्शिता जिम्मेवार है.

मैं झारखंड के युवा मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से यह पूछना चाहता हूं कि क्या आपकी सरकार के पास उन भुक्तभोगी युवाओं के लिए कोई योजना है जिनकी उम्र सीमा समाप्त हो गयी है, वह भी केवल सरकार की लेट-लतीफी और गलत नीतियों के कारण. जरूरत है हम जैसों के लिए एक विशेष ‘इंपलॉयमेंट ड्राइव’ चलाने की, ताकि हमें भी सम्मान से जीने का हक मिले.

पंकज पीयूष, मधुपुर

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