भीड़ की हिंसा पर रोक के लिए बने कड़ा कानून

भीड़ की हिंसा के मामले की बिना किसी किंतु-परंतु की निंदा होनी चाहिए. पीड़ित अथवा हमलावर की जाति या फिर उसका मजहब देखकर उद्वेलित होना या न होना ठीक नहीं. तबरेज अंसारी के परिवार को न्याय मिले, इसकी चिंता करते समय यह भी ध्यान रखा जाना चाहिए कि न्याय की दरकार मथुरा के उस लस्सी […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | June 27, 2019 5:41 AM
भीड़ की हिंसा के मामले की बिना किसी किंतु-परंतु की निंदा होनी चाहिए. पीड़ित अथवा हमलावर की जाति या फिर उसका मजहब देखकर उद्वेलित होना या न होना ठीक नहीं. तबरेज अंसारी के परिवार को न्याय मिले, इसकी चिंता करते समय यह भी ध्यान रखा जाना चाहिए कि न्याय की दरकार मथुरा के उस लस्सी विक्रेता के परिवार को भी है जो चंद दिनों पहले भीड़ की हिंसा का शिकार बना है.
हिंसा-हत्या के मामलों में अल्पसंख्यक-बहुसंख्यक का चश्मा चढ़ाकर प्रतिक्रिया व्यक्त करने की आदत ठीक नहीं है. चाहे राज्य में किसी भी पार्टी की सरकार हो, लेकिन इस रोक लगाने के लिए कठोर से कठोर कानून बनाना चाहिए. प्रशासनिक अधिकारी व पुलिस को भी इस मामले में सतर्क रहकर काम करने की जरूरत है.
डाॅ हेमंत कुमार, गोराडीह (भागलपुर)

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