दागियों पर प्रधानमंत्री की दोहरी नीति

2014 के लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी की जीत के नायक रहे अमित शाह को भाजपा अध्यक्ष मनोनीत किया जाना भाजपा में अटल-आडवाणी युग के बाद अब मोदी-शाह युग की शुरुआत के रूप मे देखा जा रहा है. मोदी के सिपहसालार अमित शाह का जादू उत्तर प्रदेश में खूब चला था. अमित शाह का […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | July 19, 2014 5:38 AM

2014 के लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी की जीत के नायक रहे अमित शाह को भाजपा अध्यक्ष मनोनीत किया जाना भाजपा में अटल-आडवाणी युग के बाद अब मोदी-शाह युग की शुरुआत के रूप मे देखा जा रहा है. मोदी के सिपहसालार अमित शाह का जादू उत्तर प्रदेश में खूब चला था.

अमित शाह का राजनीतिक करियर पूरी तरह विवादों से घिरा रहा है. उनका नाम तुलसी प्रजापति, शोहराबुद्दीन शेख और इशरत जहां फर्जी मुठभेड़ों से जुड़ा रहा है. गुजरात का गृह मंत्री रहते हुए एक महिला की जासूसी कराने का आरोप भी उन पर लगा. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संसद के अपने पहले अभिभाषण में यह इच्छा जाहिर की थी कि संसद को बेदाग बनाया जाये, लेकिन जिस तरह अमित शाह को भाजपा अध्यक्ष बनाया गया, कहीं न कहीं मोदी की दोहरी नीति झलकती है.

आकाश गुप्ता, ई-मेल से

Next Article

Exit mobile version