विमान पर हमले से दुनिया स्तब्ध

पूर्वी यूक्रेन में कथित मिसाइल हमले में मलयेशिया के नागरिक विमान के मार गिराये जाने की घटना से दुनिया स्तब्ध है. दुर्घटना में विमान में सवार सभी 298 लोग मारे गये हैं. मृतकों में 100 से अधिक जाने-माने एड्स रोग चिकित्सक, विशेषज्ञ और कार्यकर्ता भी शामिल थे. जिस इलाके में यह हादसा हुआ है, वहां […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | July 19, 2014 5:44 AM

पूर्वी यूक्रेन में कथित मिसाइल हमले में मलयेशिया के नागरिक विमान के मार गिराये जाने की घटना से दुनिया स्तब्ध है. दुर्घटना में विमान में सवार सभी 298 लोग मारे गये हैं. मृतकों में 100 से अधिक जाने-माने एड्स रोग चिकित्सक, विशेषज्ञ और कार्यकर्ता भी शामिल थे. जिस इलाके में यह हादसा हुआ है, वहां रूस-समर्थित विद्रोहियों का कब्जा है, जो रूस की शह पर तथा उसके खुले आर्थिक व सैनिक सहयोग से यूक्रेन से अलग होने की मांग को लेकर सशस्त्र संघर्ष कर रहे हैं.

इस क्षेत्र में यूक्रेनी सरकार की पहुंच नहीं होने के कारण स्पष्ट रूप से दुर्घटना से संबंधित जानकारियां नहीं मिल पा रही हैं. अमेरिकी सरकार ने तकनीकी सूचनाओं के आधार पर विमान पर मिसाइल से हुए हमले की पुष्टि तो की है, लेकिन उसके स्नेत और जिम्मेवार संगठनों के बारे में उसने कोई जानकारी नहीं दी है. यूक्रेन ने इसे आतंकी हमले की संज्ञा दी है और रूस-समर्थित विद्रोहियों को जिम्मेवार ठहराते हुए हादसे की अंतरराष्ट्रीय जांच की मांग की है.

इस हादसे के कारणों और जिम्मेवार लोगों के बारे में आधिकारिक जानकारी तो विस्तृत जांच के बाद ही मिलेगी, लेकिन इसने एक बार फिर सिद्धांतहीन और स्वार्थ से वशीभूत अंतरराष्ट्रीय राजनीति के दावं-पेंचों को रेखांकित किया है. यूक्रेन का संकट रूस के अहम और यूक्रेन के संसाधनों पर कब्जा जमाये रखने की नीयत का परिणाम है. वहीं अमेरिका और प्रभावशाली यूरोपीय देश यूक्रेन की वैधानिक सरकार का समर्थन महज रूस के प्रभाव को नियंत्रित करने के इरादे से कर रहे हैं. इसके ठोस प्रमाण हैं कि पूर्वी यूक्रेन में कब्जा जमाये विद्रोहियों में रूस के अधिकृत सैनिक व अनधिकृत लड़ाके शामिल हैं.

इस झगड़े से मलयेशिया या विमान में सवार बदकिस्मत नागरिकों का दूर-दूर तक कोई नाता नहीं है. मिसाइल चाहे जिसने चलायी हो, वह पूरी मानवता का अपराधी है. ओबामा और पुतिन का यह उत्तरदायित्व है कि वे निष्पक्ष और त्वरित जांच सुनिश्चित करें. सबसे पहले तो जहाज के ब्लैक बॉक्स जैसे संवेदनशील उपकरणों को विद्रोहियों के कब्जे से लेकर किसी अंतरराष्ट्रीय संस्था के हवाले करना चाहिए. कम-से-कम अब तो बड़े राष्ट्रों को अपनी कूटनीति पर आत्मचिंतन करना ही चाहिए, जो निदरेषों को मौत बांटती है.

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